करेड़ा बुजुर्ग में विज्ञान संकाय की सौगात से बच्चों के चेहरे खिले, गांव में खुशी की लहर
लंबे इंतजार के बाद मिला तोहफ़ा, अब नहीं जाना पड़ेगा दूर कस्बों में पढ़ाई के लिए
रामबिलास लांगड़ी
करेड़ा बुजुर्ग (निवाई) सच्चा सागर।
प्रदेश की शिक्षा नीति में बदलाव और ग्रामीण क्षेत्रों को प्राथमिकता देने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए राजस्थान सरकार ने 93 विद्यालयों में नए संकाय खोलने की घोषणा की है। इसी क्रम में टोंक जिले के निवाई उपखंड के करेड़ा बुजुर्ग राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय को विज्ञान संकाय की मंजूरी मिलने से क्षेत्र के विद्यार्थियों और अभिभावकों में खुशी की लहर दौड़ गई है।
अब तक छात्रों को विज्ञान जैसे संकाय के लिए निवाई, चाकसू या जयपुर जैसे बड़े कस्बों की ओर रुख करना पड़ता था, लेकिन अब वे अपने ही गांव में रहकर विज्ञान की पढ़ाई कर सकेंगे। यह निर्णय विशेषकर बेटियों के लिए वरदान साबित होगा, जिन्हें सुरक्षा, दूरी और संसाधनों की कमी के कारण आगे पढ़ने में कई बार मुश्किलों का सामना करना पड़ता था।
विधायक रामसहाय वर्मा के प्रयास लाए रंग
गांव में विज्ञान संकाय खोलने की माँग वर्षों से की जा रही थी। क्षेत्रीय विधायक रामसहाय वर्मा ने इसे प्राथमिकता दी और लगातार सरकार से संपर्क में रहकर यह प्रयास किया। सरकार द्वारा जब विद्यालय का नाम स्वीकृत सूची में शामिल किया गया, तो पूरे क्षेत्र में उत्साह की लहर दौड़ गई।
गांववासियों ने जताया आभार
स्थानीय ग्रामीणों ने इस फैसले के लिए मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री और विधायक वर्मा का आभार जताया। भाजपा मंडल अध्यक्ष शिवराज गुर्जर, वरिष्ठ कार्यकर्ता जगदीश दोराया, नारायणलाल शर्मा, दिनेश चौधरी और गजानंद कुमावत ने इसे क्षेत्र के युवाओं के लिए मील का पत्थर बताया।
विद्यालय प्राचार्य ने बताया ऐतिहासिक कदम
विद्यालय के प्राचार्य भवानी शंकर कोठ्यारी ने सरकार के इस निर्णय को शिक्षा की दिशा में एक ऐतिहासिक और क्रांतिकारी कदम बताया। उन्होंने कहा कि “यह निर्णय ग्रामीण विद्यार्थियों के लिए अवसरों के नए द्वार खोलेगा और क्षेत्र में शिक्षा का स्तर भी बेहतर होगा।”
शिक्षा के क्षेत्र में परिवर्तन की शुरुआत
यह फैसला स्पष्ट करता है कि यदि जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारी मिलकर ग्रामीणों की आवाज को सही मंच तक पहुँचाएं, तो बदलाव संभव है। करेड़ा बुजुर्ग जैसे छोटे गांव के बच्चों के लिए यह विज्ञान संकाय एक सपना था, जो अब हकीकत बन चुका है।
अब करेड़ा बुजुर्ग से भी निकलेंगे डॉक्टर, इंजीनियर और वैज्ञानिक।सरकार का यह निर्णय ग्रामीण शिक्षा के प्रति गंभीरता का प्रमाण है।छात्रों को मिलेगा घर के पास गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का अवसर।