डोटासरा से निवाई कांग्रेस कार्यकर्ताओ ने कहा – क्या प्रशांत बैरवा कांग्रेस को हराने की सुपारी लेकर आए हैं ?

 डोटासरा से निवाई कांग्रेस कार्यकर्ताओ ने – क्या प्रशांत बैरवा कांग्रेस को हराने की सुपारी लेकर आए हैं ? 



कांग्रेस की कार्यकारिणी में जनाधार नहीं, जनाधार वाले दरकिनार – निवाई में कार्यकर्ताओं का फूटा ग़ुस्सा, प्रशांत बैरवा को बताया 'बैर’ का कारण! 





निवाई ( सच्चा सागर) कांग्रेस में फिलहाल चुनाव नहीं, ‘चहेते चयन प्रतियोगिता’ चल रही है! प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली जब बांरा की राह पर निकले, तो निवाई में ज़मीनी कांग्रेसियों ने उनका ऐसा ‘धरातलीय’ स्वागत किया कि सियासत की ज़मीन खिसक गई। कांग्रेस के पूर्व विधायक कमल लोधी, पूर्व ब्लॉक अध्यक्ष रामराय मीणा, वरिष्ठ जननेता  श्रीराम चौधरी   के  नेतृत्व में जब सैकड़ों कार्यकर्ता लामबंद हुए तो सवाल सिर्फ़ एक था क्या कांग्रेस अब वफ़ादारी नहीं, चमचागिरी से चलेगी? 


कार्यकारिणी में घोटाला नहीं, 'गुटाला'?


हाल ही में घोषित कांग्रेस कार्यकारिणी में जिनका जनाधार था, वो ग़ायब हैं  और जिनका जन से लेना-देना नहीं, उनका नाम कार्यकारिणी में झिलमिला रहा है। कार्यकर्ताओं ने खुलकर विरोध जताया और डोटासरा-जूली की मौजूदगी में कहा, अगर कांग्रेस को हराने का ठेका ही दे दिया है कुछ लोगों को, तो फिर हमें बताइए   हम बिसात समेट लें।"




डोटासरा बोले – "हमें तो पता ही नहीं था!"


प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, जिनके नाम में ही दो बार 'ड' है, शायद इसलिए ‘डबल अंधेरे’ में रहे! उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा, आपने बताया, तब मुझे मालूम चला। धरातल पर क्या चल रहा है,इसकी जानकारी नहीं थी। ऐसी लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी।अब सवाल ये है – अगर पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष को ही ज़मीन की खबर नहीं, तो संगठन की जड़ें कौन देखेगा?


प्रशांत बैरवा – नेतृत्व नहीं, ‘निपात’ का प्रतीक?


कांग्रेस की इस गुटबाजी का ‘मुखिया’ बनकर उभरे हैं निवाई के पूर्व विधायक प्रशांत बैरवा – जिनके लिए जनता नहीं, "जनविरोध" वोट बैंक बन चुका है। कार्यकर्ताओं का आरोप है कि कार्यकारिणी में उन्हीं लोगों को जगह मिली है जिनका न नेता से वास्ता, न जनता से नाता।


तीन बार टिकट मिला, दो बार करारी हार हुई। नगरपालिका और पंचायतीराज चुनाव में जिनके नेतृत्व में कांग्रेस की नैया डूबती रही, वो अब कांग्रेस की ‘नया दिशा टीम’ चला रहे हैं! कार्यकर्ता साफ़ बोले – 

प्रशांत को टिकट देना कांग्रेस को टिकट देना है हार की! इतना ही नहीं, भीतरघात के भी आरोप उनके सिर हैं  खुद सरपंच, पंचायत समिति सदस्य तक का चुनाव नहीं जीत सके, फिर भी पार्टी में उन्हें वीआईपी बना रखा है।


सचिन-गहलोत की लड़ाई में बैरवा की ‘सत्तात्मक छलांग -  प्रशांत बैरवा ने जब गहलोत खेमें की बांह थामी, तो निवाई के गुर्जर समाज ने उनकी पीठ से हाथ खींच लिया। परिणाम – प्रशांत को ‘ऊपर’ से तवज्जो तो मिल गई, पर ज़मीन से संपर्क टूट गया। कार्यकर्ताओं का सीधा आरोप है कि गहलोत दरबार में हाजिरी लगाकर बैरवा ने निवाई में अपना जनाधार खो दिया।


धरातल से जुड़े नेता , कांग्रेस की असली उम्मीद-  

इस पूरे बवाल में निवाई की कांग्रेस को जो नेतृत्व चाहिए, वो साफ़ नज़र आया कमल लोधी, जिनका जनाधार आज भी मज़बूत है।रामराय मीणा, जिन्होंने ब्लॉक स्तर पर कांग्रेस को जड़ें दी। श्रीराम चौधरी और मांगीलाल गुर्जर, जिनकी सादगी और सेवा भाव कार्यकर्ताओं में ऊर्जा भरते हैं।



गुटबाजी चरम पर दो स्वागत, दो सोच-  निवाई में डोटासरा का स्वागत भी दो गुटों में बंटा रहा एक गुट वो था जो पार्टी को बचाने में लगा है, दूसरा वो जो पार्टी के नाम पर ‘व्यक्तिगत दुकानदारी’ चला रहा है।


डोटासरा का आश्वासन – पुनर्गठन की बात -  अंत में गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा, सभी की बात सुनी जाएगी, कार्यकारिणी का पुनर्गठन किया जाएगा। अब देखना यह होगा कि कांग्रेस में ‘धरातल वाले’ जीतते हैं या ‘दरबारी ताजपोशी’ का सिलसिला जारी रहता है।

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