राजस्थान में बालिकाओं पर अपराध में आई कमी, लेकिन नाबालिगों के विरुद्ध अपराधों में भारी वृद्धि
राज्य स्तरीय तुलनात्मक रिपोर्ट में खुलासा
जयपुर, 1 जुलाई 2025 ( सच्चा सागर) राज्य पुलिस विभाग द्वारा वर्ष 2023, 2024 एवं 2025 (अप्रैल तक) के दर्ज प्रकरणों की तुलनात्मक विश्लेषण रिपोर्ट जारी की गई है। रिपोर्ट में दुष्कर्म एवं पोक्सो एक्ट के तहत दर्ज मामलों का विश्लेषण किया गया है, जिसमें बालिकाओं के विरुद्ध अपराधों में गिरावट, जबकि नाबालिगों के विरुद्ध मामलों में भारी वृद्धि देखने को मिली है।
बालिकाओं से संबंधित अपराधों में कमी- 2024 की तुलना में 2025 (अप्रैल तक) में कुल दर्ज प्रकरणों में 18.94% की कमी आई है।सामूहिक दुष्कर्म के मामलों में 2024 के मुकाबले 2025 में 27.52% की गिरावट देखी गई। अन्य दुष्कर्म प्रकरणों में भी 17.51% की गिरावट आई। कुल मिलाकर वर्ष 2024 की तुलना में 2025 में बालिकाओं से जुड़े दुष्कर्म व पॉक्सो एक्ट मामलों में 317 प्रकरण कम दर्ज हुए।
नाबालिगों से संबंधित अपराधों में बड़ी बढ़ोतरी- वर्ष 2024 के मुकाबले 2025 में नाबालिगों से जुड़े मामलों में 58.70% की वृद्धि हुई है।अन्य पॉक्सो प्रकरणों में सबसे अधिक वृद्धि—2024 में 189 प्रकरण थे, जो 2025 में बढ़कर 447 हो गए, अर्थात 136.51% की बढ़ोतरी।धारा 4 व 6 के अतिरिक्त अपराध (बालकों के खिलाफ यौन शोषण आदि) में भी 175.93% की भारी वृद्धि दर्ज हुई।कुल प्रकरणों की संख्या 2024 में 698 थी, जो 2025 में बढ़कर 1003 हो गई।
निस्तारण स्थिति - केस दर्ज तो हुए लेकिन सजा की दर सीमित- बालिकाओं से जुड़े मामलों में सजा की दर 53.80%, जबकि नाबालिगों के मामलों में सजा की दर 50.35% दर्ज हुई। सर्वाधिक चार्जशीट अन्य दुष्कर्म (बालिका) श्रेणी में 95% रही। कुल 1003 नाबालिगों से जुड़े मामलों में से 505 प्रकरणों में पुलिस ने चालान पेश किया और 374 प्रकरणों में पेंडिंग अनुसंधान दर्ज है।
विशेषज्ञों की राय - अधिकारियों के अनुसार, बालिकाओं के मामलों में जागरूकता, त्वरित कार्रवाई और न्यायिक सख्ती से अपराधों में कमी आई है, जबकि नाबालिगों पर अपराध (विशेषकर बालकों) के प्रति सामाजिक उदासीनता व रिपोर्टिंग में वृद्धि के कारण आंकड़ों में इजाफा देखा गया। राजस्थान में बालिकाओं के विरुद्ध अपराधों में भले ही गिरावट आई हो, लेकिन नाबालिगों के खिलाफ अपराधों में तेजी से बढ़ोतरी एक चिंताजनक संकेत है। बाल संरक्षण एवं लैंगिक अपराधों के विरुद्ध न्याय प्रक्रिया में और तेजी तथा पुनर्वास योजनाओं की आवश्यकता महसूस की जा रही है।