जनता कब तक बजरी माफियाओं की भेंट चढ़ेगी? सरकार की मंशा पर सवाल ?
रामबिलास लांगड़ी , प्रबंध सम्पादक दैनिक सच्चा सागर टोंक
भीलवाड़ा जिले में प्रशिक्षु उपखंड अधिकारी सुमन गुर्जर का स्थानांतरण हाल ही में ऐसे समय पर कर दिया गया जब उन्होंने बजरी माफिया के खिलाफ सख्त कार्रवाई की थी। कोटड़ी क्षेत्र में रसूखदार सत्ताधारी पार्टी के एक प्रधान पर कार्रवाई करने का "अपराध" इतना बड़ा था कि सरकार ने एक ईमानदार अधिकारी को ही हटा दिया और उन्हें उपखंड अधिकारी की जिम्मेदारी से हटाकर तहसीलदार के पद पर भेज दिया गया।यह घटनाक्रम केवल एक अधिकारी का स्थानांतरण नहीं है यह एक कड़ा संदेश है कि जो भी बजरी माफिया के खिलाफ आवाज उठाएगा, उसे हाशिये पर डाल दिया जाएगा। सवाल यह है कि जब सरकार ही उन अधिकारियों के पीछे खड़ी नहीं होती जो कानून और जनता के पक्ष में खड़े होते हैं, तब कौन अधिकारी आगे आकर कार्रवाई करने का साहस दिखाएगा?इससे भी अधिक भयावह और चिंताजनक खबर कल रात टोंक जिले से आई, जहाँ बजरी माफियाओं ने पप्पूलाल गुर्जर नामक एक आम नागरिक को रौंद कर मार डाला। यह कोई पहली घटना नहीं है ऐसी कई घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं जहाँ आम जनता, पत्रकार या अधिकारी माफियाओं की हिंसा का शिकार हुए हैं।जनता जानना चाहती है ? क्या सरकार सच में अवैध बजरी खनन रोकना चाहती है?अगर हाँ, तो उन अधिकारियों को सजा क्यों मिलती है जो कार्रवाई करते हैं?क्यों नहीं ऐसे माफियाओं पर बुलडोजर चलाया जाता, जिनका रसूख सत्ता से जुड़ा है?यह स्पष्ट हो रहा है कि सरकार की मंशा केवल कागजों पर दिखने वाली कार्रवाई करने की है। वास्तविकता में अगर कठोर कदम उठाने की नीयत होती, तो सुमन गुर्जर जैसे ईमानदार अधिकारियों को सम्मानित किया जाता, न कि उनका तबादला किया जाता।जनता कब तक इन माफियाओं की बूटों तले कुचली जाती रहेगी? जवाबदेही सिर्फ विपक्ष या अफसरशाही की नहीं सरकार की है। अगर अब भी निर्णय नहीं लिए गए, तो यह लोकतंत्र नहीं, ‘माफियातंत्र’ की ओर बढ़ता राज्य बन जाएगा।