नोहटा-कांटोली क्षेत्र में खानों को पुन: स्वीकृतियां जारी नही करने की मांग को लेकर ग्रामीणों ने सौंपा ज्ञापन आधा दर्जन करीब गांवों में लोगों के स्वास्थ्य पर सिलिकोसिस बीमारी का पड़ सकता हैं खतरनाक असर पूर्व में भी सैकड़ों लोगों की हो चुकी मौत

 नोहटा-कांटोली क्षेत्र में खानों को पुन: स्वीकृतियां जारी नही करने की मांग को लेकर ग्रामीणों ने सौंपा ज्ञापन

आधा दर्जन करीब गांवों में लोगों के स्वास्थ्य पर सिलिकोसिस बीमारी का पड़ सकता हैं खतरनाक असर

पूर्व में भी सैकड़ों लोगों की हो चुकी मौत


टोंक (सच्चा सागर)। जिले के निवाई उपखण्ड क्षेत्र की ग्राम पंचायत कांबेली के ग्रामीणों ने जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर बताया कि ग्राम पंचायत क्षैत्र के ग्राम कांटोली में पत्थर की खानों को पुन: स्वीकृतियां जारी नही करने की मांग की है। ज्ञापन में बताया कि श्री बालाजी मिनल्स एमएल 14/98 आर नोहटा व श्री बालाजी मिनल्स एमएल 11/2000 आर करीरिया नोहटा पंचायत में स्थित माइंस (खान) को ग्रामीणों के विरोध की वजह से 2005 में बंद कर दिया गया था, माइनस को बंद करने का मुख्य कारण क्षेत्र में करीब आधा दर्जन गांवों में 80 फीसदी लोगों में लाईलाज बीमारी सिलिकोसिस उत्पन्न हो गयी थी, करीब 10 किलोमीटर तक के क्षेत्र में पर्यावरण पूरी तरह से नष्ट हो चुकी थी। हाल ही के दिनों में लीजधारक ने इस माइंस को वापस चालू करने का प्रयास किया है, यह साधारण जनसभा में क्षेत्र के सैकड़ों लोग जिला कलेक्टर की गैर मौजूदगी में अतिरिक्त जिला कलेक्टर (एडीएम) टोंक, पर्यावरण अभियंता सहित जिले के कही प्रशासनिक आला अधिकारियों के समक्ष ज्ञापन सौंपकर विरोध दर्ज कराया गया है। ज्ञापन में ग्रामीणों ने विरोध दर्ज करवाने का मुख्य कारण नोहटा क्षेत्र जहां पर पूर्व में माइंस (खान) चलती थी, उस क्षेत्र के करीब 80 प्रतिशत लोगों में आज भी सिलिकोसिस, टीबी व अस्थमा जैसी लाईलाज बीमारी है, अगर माइंस को पुन: चालू किया गया तो 10 किलोमीटर के परिधी क्षेत्र का हर व्यक्ति लाईलाज बीमारी की चपेट में आ जाएगा। माइंस के आसपास 400 साल पुराने करीब 27 मंदिर बने हुए हैं, जो कि पूरी तरीके से नष्ट हो सकते हैं। करीब 1300 कदम के कहीं वर्षों पुराने पेड़ लगे हुए हैं जो कि पर्यावरण प्रदूषण की वजह से सब नष्ट होने की प्रबल संभावना बनी हुई हैं। सम्पूर्ण भारत का प्रसिद्ध टाटानगर जहां पर मिला था कोहिनूर हीरा महज एक किलोमीटर दूरी पर है तथा माइंस से करीब 90 मीटर दूरी पर हैं। वहीं शहीद रामकरण खाती सीनियर सेकंडरी स्कूल, लगभग 1043 राष्ट्रीय पक्षी मोर है, अगर माइंस शुरू होती हैं और धमाका हुआ तो सब मोर मारे जाएंगे, इन वन्यजीवों को सबसे ज्यादा नुकसान होगा तथा क्षेत्र में करीब 9 टाईगर है, लगभग 900 के करीब नील गाय है, लगभग 100 के करीब जंगली सुअर हैं, इस प्रकार से सैकड़ों जानवर मारे जाएँगे। अगर माइंस खान को चालू करने की परमिशन मिली तो माइंस में भयंकर तरीके से ब्लास्टिंग होगी, जहां ब्लास्टिंग के धमाकों की वजह से कई जानवरों की मृत्यु होगी। साथ ही लीज़ के चारों तरफ घनी आबादी क्षेत्र है, जहां लोगों को जानमाल का पूरा पूरा खतरा बना हुआ हैं। दशरथ सिंह नौहट्टा व श्रीराम महाराज कांटोली ने बताया कि पर्यावरण की रक्षा के लिए हम जान तक दे सकते हैं, किसी भी सूरत में मांइस को चालू नहीं होने देंगे। इस मौके पर माँ भद्रकाली मंदिर कांटोली के पीठाधीश्वर श्रीराम महाराज अघोरी, उप प्रधान दयाराम जाट, सुरज्ञान जाट, वन सुरक्षा प्रबंधक समिति नोहटा अध्यक्ष रामराज जाट, वन सुरक्षा प्रबंधक समिति अध्यक्ष मीना चौधरी, श्योराज जाट,सुनील गुर्जर, प्रहलाद जाट, तेजराम जाट, हरिमोहन गुर्जर, सांवरमल गुर्जर सहित सैकड़ों ग्रामीण मौजूद रहे हैं।

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