राजनीति गलियारे और फर्जी खेल फैडरेशनो संघो मे दम तोड़ता खिलाडियों का भविष्य
अमन ठठेरा की कलम से
(अंतर्राष्ट्रीय खिलाडी)
राजनीति गलियारों और फर्जी फेडरेशन में घुमता खिलाडियों का भविष्य
अमन ठठेरा की कलम से
हिंदुस्तान में एक कहावत काफी प्रचलित सी हो गई हैं बच्चा पढेगा लिखेगा तो बनेगा नवाब़ और खेलेगा कुदेगा तो होगा खराब । यह कहावत सही मायने में दिख रही हैं । विश्व का दुसरा सबसे बड़ा आबादी वाला देश भारत जहाँ हर मोहल्ला , शहर प्रतिभाओं का धनी हैं लेकिन दुर्भाग्यपुर्ण बात हैं कि अगर ओलंपिक, एशियन खेल में खिलाड़ियों की संख्या और मेडल की बात की जाए तो भारत जैसे विशाल प्रतिभाशाली देश का नाम पंक्ति के किस पायदान पर आता हैं इससे कोई बेखबर नहीं हैं। लेकिन यह प्रतिभाएँ राजनीति गलियारों में धुमिल सी होती दिखाई दे रहीं हैं । यह राजनीति सिर्फ देश की राजनेताओं की राजनीति ही नहीं बल्कि खेल संघों की राजनीति भी खिलाड़ियों का दम तोड़ रही है। आज देश के कुछ प्रतिभाशाली खिलाड़ी जिन्होंने देश को दुनिया के मंच पर गौरवान्ति महसूस करवाया हैं लेकिन क्या इतनी बड़ी आबादी वाले देश में सिर्फ नाम मात्र खिलाड़ी शब्द का प्रयोग करना उचित है ? भारत में खिलाड़ियों की दशा उन तमाम सरकारी दस्तावेजों में घूम रही है जहाँ खिलाड़ियों को तमाम खेल उपकरण व सुख सुविधा से लेकर नौकरी देने के वादे करते हुए कई बजट तथा कई संशोधन तक हो चुके हैं लेकिन जब कार्यान्वित की बात आए तब यह राजनीतिक गलियारों में सिमट कर रह जाती है । क्या यही प्रतिभा धनी भारत है आज का भारत दुनिया के तमाम बड़े मंचो पर अपनी हर कार्यशाला में प्रतिभाओं का जलवा बिखेर रहा लेकिन देश में खेल को लेकर आज भी वही राजनीति गलियारों का बोलबाला है। खेलों को लेकर देश की राजनीति में भी सुख सुविधा और नौकरी के नाम पर खिलाड़ियों का भविष्य खतरे में दिख रहा हैं । क्या सरकार की तमाम खेल नीतियां खिलाड़ियों के लिए बनी है या सरकारी फाइलों की संख्या बढ़ाने के लिए ? इतना ही नहीं आज भारत में खेल एक व्यापार सा हो गया है जहां कुछ चंद लोग नए-नए खेल इजाद करते हुए नजर आ रहे हैं इतना ही नहीं इन खेलों से जुड़े लोग (मठाधीश) जो बच्चों ( खिलाड़ियों)से पैसे ऐंठ कर उन्हें प्रमाण पत्र जारी करते हैं ऐसे खेल संघ का वास्ता ना ही कोई सरकारी विभाग से होता है और ना ही मान्यता प्राप्त होते हैं। यू कहने मे मुझे कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि फर्जी खेलों संघो के धंधे जिसके पदाधिकारी प्रतियोगिता के माध्यम से अपनी जेब भरने में माहिर है और ऐसे कई संघ बना दिया जाते हैं जिसकी मान्यता भारतीय ओलंपिक संघ , युवा मामले एंव खेल विभाग , भारतीय खेल प्राधिकरण, क्रीड़ा परिषद, सहकारिता विभाग और खेल अधिनियम के किसी भी विभाग में अधिकारी रूप से मान्यता तक नहीं होती लेकिन उन तमाम खेल संघों के पदाधिकारी फर्जी प्रतियोगिता करा कर मुंह मांगी रकम वसूलते और उन्हें प्रमाण पत्र जारी करते हैं इस प्रमाण पत्र का भविष्य नहीं होता हैं। मुझे यू कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि वह खिलाड़ी " न घर का रहा ना घाट का " यह कहावत इस जगह सही मायने में साबित होती नजर आ रही है। लेकिन अगर बात की जाए उन तमाम उच्च दर्जे के खेल की जो यहां तक मान्यता प्राप्त भी हैं। लेकिन इन खेल संघों में बैठे उच्च पदाधिकारी खिलाड़ियों के साथ राजनीति के सहारे लुट कसोट करने में पीछे नहीं हैं । खिलाड़ियों को भी खेलने के लिए मुंह मांगी रकम मांगी जाती है और मजबूरन देनी पड़ती है जिसके कारण कई आर्थिक संकट से जूझ रहे खिलाड़ी देने में असमर्थ होने के कारण उनकी प्रतिभा दम तोड़ देती है । क्या खिलाड़ियों का भविष्य बर्बाद करने का जिम्मेदार खेलों में राजनीति है या ऐसे फर्जी के संघ भी उतने ही जिम्मेदार हैं ? अगर ऐसा है तो सरकार को सोचना होगा और सख्त कदम उठाना होगा ताकि फर्जी खेल संघ बनाने तथा इन खेल संघों के जरिए फर्जीवाड़ा करने वालों का धंधा बंद हो। भारत में खेलों की दुर्दशा सुधारने के लिए सरकार को उचित प्रयास करने की सख्त जरूरत है। खेल विभाग को चाहिए कि उन चुनिंदा खेलो जो उच्च दर्जे के खेल है जो कि ओलंपिक ,एशियन , राष्ट्रमंडल खेल और वर्ल्ड कप में खेले जाते हैं उन खिलाड़ियों की प्रतिभा को आगे बढ़ाने के लिए तमाम खेल सुख सुविधाएं उपलब्ध करवाने और बजट खर्च किया जाना चाहिए तभी हम पदक की दौड़ में आगे निकल पाएंगे । खेलों को मान्यता देने से पहले सरकार को कमेटी का गठन किया जाना चाहिए जिसमें दिग्गज खिलाड़ी शामिल हो ताकि खेलों के द्वारा व्यापार पर रोक लगेगी और वहीं दिग्गज खिलाड़ी तय करें कि कौन से खेल पर फोकस करना है और किसे मान्यता देनी है यह सब नीतियां उन तमाम फर्जीवाड़ा खेलों के व्यापार , फर्जी प्रमाण पत्र, सरकार को गुमराह कर अवार्ड हासिल करना पर रोक लगने में कहीं हद तक सही साबित होगी।
राजनीति गलियारे और फर्जी खेल फैडरेशनो संघो मे दम तोड़ता खिलाडियों का भविष्य
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