विश्व दलहन दिवस का हुआ आयोजन
वनस्थली- (संजय तिवारी)कृषि विज्ञान केन्द्र बनस्थली विद्यापीठ पर विश्व दलहन दिवस का आयोजन किया गया। केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. डी.वी. सिंह ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2022 को विश्व दलहन वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। आज दुनिया की आधी से ज्यादा आबादी कुपोषण की शिकार है। दाले हमारे भोजन में सम्मिलित होना नितांत आवश्यक है। इससे शहरी में प्रोटीन की पूर्ति होती है। भारत सरकार द्वारा पिछले वर्षो में देश में दलहन का उत्पादन बढ़ाने के लिए 150 से ज्यादा दलहन के सीड हब बनाए गए है जिससे किसानों को उन्नत किस्मों के अच्छे बीज समय पर मिल सकें। सीड हब में 16 हजार क्विंटल अच्छी किस्मों का बीज उत्पादन हो रहा है। इसके साथ ही कृषि विज्ञानों के द्वारा दालों की कम दिनों की तथा रोग रोधी किस्मों का विकास किया हैं। भारत सरकार ने दलहन को प्रोत्साहन देने के लिए लगातार दालों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि की है। सरकारी नितियों, कृषि वैज्ञानिकों के प्रयास तथा मेहनती किसानों की अथक मेहनत का परिणाम है कि देश दलहन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो सका है। डॉ. सिंह ने कहा कि किसानों को दालों के उत्पादनों के लिए आगे आना चाहिए तथा फसल चक्र में सम्मिलित करना चाहिए। दलहनी फसलों वायु मंडल में उपलब्ध नत्रजन का स्थिरीकरण मृदा में करती है और मृदा को उपजाव बनाने में सहायक है। डॉ. प्रीति वर्मा ने मनुष्य के जीवन में दालों के महत्व तथा पोषण के बारे में चर्चा की। नरेश कुमार अग्रवाल ने बागवानी में दालों को फसल के रूप में करने पर बल दिया। बंशीधर ने दालों की विभिन्न वैज्ञानिक पद्धतियों के बारे में किसानों से चर्चा की। विश्व दलहन दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में विभिन्न गांवों के 94 किसानों ने भाग लिया। कार्यक्रम में विनित कुमार द्विवेदी, मिथिलेश्वर नाथ उपाध्याय, आसूसिंह भाटी ने सहयोग दिया।
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