प्रकृति से निस्वार्थ प्रेम की मिसाल
*शिक्षक हंसराज मीणा ने विद्यालय परिसर में 300 पौधे लगवाकर मारवाड़ में रचा पर्यावरण संरक्षण का इतिहास*
ग्रीष्मावकाश में भी स्कूल के पेड़ों को बचाने पहुंचे थे 400 की.मी.दूर मारवाड़
आर. डी. माँदड़
कोटड़ा/मित्रपुरा (सच्चा सागर)
राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय कालाकोट (ग्राम पंचायत सबलपुरा, तहसील रायपुर, जिला ब्यावर) में कार्यरत शिक्षक हंसराज मीणा ने पर्यावरण संरक्षण की जो अलख जगाई है, वह अपने आप में मिसाल बन गई है। उन्होंने अकेले 300 से अधिक पौधे लगाकर न केवल विद्यालय परिसर को हराभरा बनाया, बल्कि एक सशक्त संदेश भी दिया कि प्रकृति से प्रेम सिर्फ शब्दों में नहीं, कर्मों में दिखना चाहिए।
हंसराज मीणा मूलतः सवाई माधोपुर जिले की मित्रपुरा तहसील के कोटड़ा गांव के निवासी हैं। पर्यावरण के प्रति उनके जुनून की शुरुआत बचपन से ही हो गई थी। अपने गांव में भी उन्होंने सैकड़ों नहीं, हजारों पौधे लगवा कर हरियाली की नींव रखी।
*ग्रीष्मावकाश में भी नहीं रुकी सेवा भावना*
जब अधिकांश शिक्षक गर्मी की छुट्टियों में अपने घर पर विश्राम कर रहे थे, तब हंसराज मीणा ने 400 किलोमीटर दूर मारवाड़ जाकर स्कूल के पौधों को पानी पिलाने का निर्णय लिया। तेज धूप और तपती गर्मी के बावजूद वे अपने विद्यालय पहुंचे और हर एक पौधे को खुद पानी दिया।
यही नहीं, जब विद्यालय की पानी की मोटर खराब मिली, तो उन्होंने खुद टेक्नीशियन बुलाकर उसे ठीक करवाया, ताकि पौधों को जल संकट से बचाया जा सके।
*प्रकृति प्रेम को बनाया जीवन का उद्देश्य*
हंसराज मीणा का मानना है कि "वृक्ष लगाना तो आसान है, लेकिन उसे जीवित रखना तपस्या है। अगर हम अब भी प्रकृति के प्रति सजग नहीं हुए, तो आने वाली पीढ़ियों को केवल पछतावा मिलेगा।उन्होंने स्थानीय ग्रामीणों, विद्यार्थियों और शिक्षकों को भी इस मुहिम में जोड़ने का संकल्प लिया है जिससे अन्य शिक्षकों ओर छात्रों ने भी गड्ढे खुदवाकर वृक्षारोपण में सहयोग किया
> “हर कोई पौधे लगा सकता है लेकिन उन्हें जीवित रखना वही कर सकता है, जिसके दिल में प्रकृति के लिए सच्चा जज़्बा हो।”
*– हंसराज मीणा, शिक्षक*