SDRF बनी जीवन रक्षक, 7 फीट बहाव के बीच 11 जिंदगियों को बचाया, पुलिस की तत्परता ने रचा समर्पण का उदाहरण
रामबिलास लांगड़ी
निवाई ( सच्चा सागर) 30 जुलाई को निवाई उपखंड के जीवली ग्राम की छापर की ढाणी में एक दर्दनाक दृश्य उस समय सामने आया जब ढील नदी के तेज बहाव और मूसलधार बारिश के कारण नदी किनारे स्थित एक मकान के चारों ओर पानी भर गया। तेज़ बहाव से मिट्टी कटने लगी और मकान में रह रहे लोग पूरी तरह से जल घेरे में फंस गए।
मकान में फंसे थे –
- ब्रजमोहन पुत्र नैनूराम मीणा (उम्र 57 वर्ष)
- रूकमणी देवी पत्नी ब्रजमोहन मीणा (उम्र 55 वर्ष)
- केसर देवी पत्नी नैनूराम मीणा (उम्र 72 वर्ष)
- रेखा पुत्री ब्रजमोहन मीणा (उम्र 25 वर्ष)
- रामलाल पुत्र नैनूराम मीणा (उम्र 40 वर्ष)
- कल्ली देवी पत्नी रामलाल (उम्र 32 वर्ष)
- किस्मत पुत्री रामलाल (उम्र 14 वर्ष)
- रोहित पुत्र रामलाल मीणा (उम्र 12 वर्ष)
- विशाल पुत्र रामलाल (उम्र 8 वर्ष)
- दिनेश पुत्र शिवदयाल सैन (उम्र 35 वर्ष, निवासी करीरिया, थाना बरोनी)
- विराट पुत्र दिनेश मीणा (उम्र 2 वर्ष, निवासी सांवलिया, थाना चाकसू)
इन 11 जिंदगियों के लिए यह रात जीवन की सबसे डरावनी रात बन चुकी थी। परिजनों की साँसे अटक चुकी थीं, बाहर सिर्फ बहता पानी था और हर ओर निराशा का मंजर।
तभी सूचना मिलते ही दतवास थाना प्रभारी कालूराम मीणा बिना किसी विलंब के मौके पर पहुंचे और SDRF को तुरंत सूचित किया। SDRF प्रभारी राजाराम के नेतृत्व में जब जवान मौके पर पहुंचे तो नजारा किसी युद्धक्षेत्र से कम नहीं था।
वीरता की मिसाल बने SDRF जवान
लगभग 7 फीट ऊँचे उफनते पानी के बीच SDRF के जाबांज जवान वीरता का प्रतीक बनकर लहरों से टकरा गए। जीवन और मृत्यु के इस संकटकाल में उन्होंने दो चरणों में रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया।
पहले चरण में महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को सुरक्षित बाहर निकाला गया। दूसरे चरण में बाकी परिजनों को रेस्क्यू किया गया। पूरे अभियान में SDRF के जवानों ने अपनी जान की परवाह किए बिना हर बाधा को पार किया। उनका धैर्य, साहस और समर्पण किसी महाकाव्य के वीर पात्रों जैसा प्रतीत हुआ।
पुलिस प्रशासन की तत्परता ने दिखाया असर
दतवास पुलिस की सक्रियता भी इस अभियान की सफलता में निर्णायक रही। थाना प्रभारी कालूराम मीणा की सूझबूझ और तत्काल निर्णय ने SDRF के काम को और अधिक प्रभावी बनाया। मौके पर मौजूद हेड कांस्टेबल नीरज कुमार शर्मा, कांस्टेबल विष्णु व अन्य पुलिसकर्मियों ने SDRF का भरपूर सहयोग किया।
गांववासियों ने जताया आभार
रेस्क्यू के बाद ग्रामीणों ने SDRF की वीरता और पुलिस की तत्परता को सराहा और धन्यवाद ज्ञापित किया। ग्रामीणों के अनुसार यदि थोड़ी भी देर होती, तो बड़ा हादसा हो सकता था।इस रेस्क्यू ऑपरेशन ने यह सिद्ध कर दिया कि SDRF सिर्फ एक बल नहीं, वह आपदा में उतरने वाले धरती के देवदूत हैं। और जब प्रशासन सजग हो, तो किसी भी संकट को मात दिया जा सकता है। यह घटना सुरक्षा बलों की सच्ची सेवा भावना, बहादुरी और कर्तव्यनिष्ठा का जीता-जागता उदाहरण बन चुकी है।