लोक कलाकार: बहादुर सिंह गुर्जर ने गुर्जर वाटी लोक गीतों को दी नई पहचान

 




जैसे पारंपरिक ग्रामीण परिवेश के लोक गीत और लोकनृत्य की रंगारंग प्रस्तुति लोककला रंग उत्सव के गीत,  लोकगीत व लोकनृत्य की प्रस्तुति ने ग्रामीण परिवेश को जीवंत कर देते है  । बहादुर सिंह गुर्जर उनमे से  मजे हुए लोक कलाकार है ।ऐसे ही भूले-बिसरे गीत जिसे अब शायद ही लोग सुन पाते हैं कभी यह दैनिक काम-काज के दौरान गीत गुनगुनाती महिलाएं या फिर थके मंदे काम से लौटे किसानों के लिए ग्रामीण परिवेश की पहचान होती थी। राजस्थान गुर्जर वाटी  लोक गायक बहादुर सिंह गुर्जर ने जिला सवाईमाधोपुर सहित राजस्थान के लोक गीतों को नई पहचान दिलाई थी। ऑडियो कैसेट के दौर में हर घर में बहादुर सिंह की आवाज सुनाई देती थी। बहादुर सिंह राजस्थान के  पहले  ऐसे गायक है , जिन्होंने दीक्षित कंपनी के साथ गाना रिकार्डिंग किया था। उन्होंने अपना लिखे हुए गीत के अलावा कोई भी गीत नहीं गाया, इन्होने उन  गीतों को पहचान दिलाई, जिन पर धीरे-धीरे समय की धूल जम रही थी। बहादुर सिंह ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि जब    में पढ़ता  था  तो स्कूल में गाना गाने के लिए कहा जाता था। उनकी गायकी का यह दौर कॉलेज में भी जारी रहा। उन्होंने वर्ष 1998  में अपनी पहली ऑडियो कैसेट देवनारायण भगवान की जन्म कथा के नाम से निकाली इसमें करीब छह गीत थे। उनकी पहली ही कैसेट हाथोंहाथ बिकी थी। इसके बाद उनकी करीब 100 से 150 ऑडियो कैसेटें मार्केट में आईं। जिसमे सन् 2001 मे स्वर्गीय राजेश पायलट पर निकाली गई थी उस कैसेट का संगीत निवाई मे आयोजित गुर्जर छात्रावास मे एक सभा मे सचिन पायलट ओर उसकी मां रमा पायलेट पहुँचे थे उनके सामने स्टेज पर प्रस्तुत किया तो समस्त जन समूह व सचिन पायलट व रमा पायलेट भावुक हो गये  इसके अलावा गुर्जर आंदोलन पर एक कैसेट निकाली जिसके बाद कविराज का दर्जा मिला इन तमाम गीतो के माध्यम से उन्होंने प्रदेश में लुप्त हो रहे गीतों को उन्होंने अपनी आवाज दी। उन्होंने कई गायकों को भी अपने साथ गीत गाने का मौका दिया।


बहादुर सिंह  के गाए गीतों पर आज कई गायक वीडियो बना रहे हैं। बहादुर सिंह  के बहुचर्चित गीतों में राजेश पायलट ,बगङावत कथा, देवनारायण जी की कथा , कृष्ण भजन, नरसी का माहिरा, शिवजी का ब्यावला, गोपीचंद-भरतरी के भजन ,लोक देवता  रामदेवजी ,  तेजाजी के भजन,  राग सौरठा, मांङ, काफी, देश, श्यामकल्याण, प्रभाती रागनायो मे प्रस्तुत किया इसके अलावा  गुर्जर आरक्षण, नोटबंदी व  विदाई गीतों के अलावा ऐसे गीत शामिल हैं, जिन्हें शादी-विवाह सहित अन्य समारोहों के दौरान महिलाएं गाती है  और समय के साथ-साथ यह गीत विलुप्त हो रहे थे। बहादुर सिंह ने 1998 से लेकर 2009 तक 40 से 50 के करीब कैसेटों में आवाज दी है। उन्होंने वर्ष 2009 में आरक्षण की आग अपनी अंतिम कैसेट निकाली थीं।  इसके बाद कैसेट का दोर समाप्त  हो गया ।  उनकी हर कैसेट में करीब छह गीत होते थे, जिन्हें लोग आज भी पसंद करते हैं। मौजूदा समय में बहादुर सिंह गुर्जर राजकीय प्राथमिक विद्यालय बांस टोरङा तहसील बौली सवाईमाधोपुर मे अध्यापक पद पर कार्यरत है। वर्तमान समय मे सारंगी, हारमोनियम, बाँसुरी, ढोलक, आर्गन, अलगोजा , वाद्य यंत्रों के मजे हुए कलाकार भी है ।

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