जैन समाज ने डिजीटल रूप मे मनाया पर्युषण पर्व

 राजेश सैन


 बनेठा (सच्चा सागर)  जैन समाज ने पर्युषण पर्व पूर्ण होने के बाद डिजीटल रुप में क्षमावाणी पर्व मनाया । पर्युषण पर्व ऐसा पर्व है जो उत्तम क्षमा से प्रारंभ होता है और क्षमा वाणी पर ही उसका समापन होता है । कस्बे में क्षमावाणी पर्व पर लोगो  ने विडियो कॉल के माध्यम से  जाने अनजाने हुई गलतियो के  लिए क्षमा याचना की । कोरोना  महामारी के कारण ऐसा पहला  मौका था जो लोगो ने अपने घरों  में रहकर की डिजीटल रुप में  क्षमावाणी पर्व मनाया । समाज के हरीश जैन पांडया ने बताया  कि इस वर्ष जैन समाज  सार्वजनिक कार्यक्रम का  आयोजन नही करके जाने  अनजाने मे हुई गलतियो के लिए एक दुसरे से डिजीटल रुप में  क्षमा याचना कर त्योंहार को बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया । लोगों ने एक दूसरे से फ़ोन कॉल  के जरिये सालभर की गलतियों की क्षमा मांगी । साथ ही कहा कि भविष्य में दोबारा गलती न हो इसके लिए प्रभु हमें थोड़ा ज्ञान भी दें । जैन शास्त्रो में बताया गया हैं कि व्यक्तियों को क्रोध छोड़कर जीवन में क्षमा को सुशोभित करना चाहिए । क्षमा वह महक है जो स्वयं के साथ समाज में महकती है । जीवन में बैर की खाई नहीं क्षमा का भवन तैयार करना  चाहिए ।

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