नीरज राजोरिया
झिलाय. कस्बे के दिगम्बर जैन मंदिर में गुरुवार को क्षमावाणी पर्व धूमधाम से मनाया गया। मंदिरों में श्रीजी के पंचामृत कलशाभिषेक हुए। जिसमें जल, चन्दन, दूघ, दही, घी, बूरा से दिगम्बर जैन धर्मावलम्बियों ने मंत्रोच्चार के साथ जयकारों के बीच श्रीजी के कलशाभिषेक किये। राज्य व केंद्र सरकार द्वारा जारी कोरोनावायरस की गाइडलाइन की पालना करते हुए जैन समाज के लोगों ने परम्परागत तरीके से जिनेन्द्रदेव का पूजन कर क्षमायाचना की और संकल्प लिया कि अब से वह विनम्र बने रहेंगे। सुबह से ही दिगम्बर जैन मंदिर में जैन समाज के महिला, पुरुष, बूढ़े, बच्चे एक-एक करके परम्परागत तरीके से जिनेन्द्रदेव का पूजन कर आरती उतारी गई। कतार में खड़े लोगों ने पूर्व में की गई गलतियों के लिए सामूहिक क्षमा याचना की और संकल्प लिया कि अब से वह विनम्रता पूर्वक रहेंगे। मान्यता है कि इस दिन जिनेन्द्रदेव के समक्ष दिल से मांगी गई क्षमा सज्जनता और सौम्यता के रास्ते पर ले जाती है। वार्ड पंच धर्मेंद्र कुमार जैन ने बताया कि क्षमा मानवीय जीवन की आधरशिला है। जिसके जीवन में क्षमा है वही मानवता को प्राप्त कर सकता है। क्षमावाणी हमें झुकने की प्रेरणा देती है। जिसमें वर्ष भर में जाने-अनजाने में हुई गलतियों के लिए सभी ने आपस में क्षमा याचना की। छोटों ने बड़ों के पैर छूकर माफी मांगी। बराबर के साथी आपस में गले मिले।इसके पश्चात् सभी लोग सामूहिक रूप से एक-दूसरे, रिश्तेदारों, मित्रो एवं परिवारजनों के घरों पर गये। जहां पर क्षमा- याचना के साथ खोपरा मिश्री खिलाई गई। यह सिलसिला देर रात्रि तक चलता रहा।
