पानी की आस, मगर जवाब “तीन दिन बाद” का , गर्मी बेहिसाब, व्यवस्था लाचार, हेडपंप फेल—दूसरी बार
रामअवतार मिस्त्री के तेवर सरकार जैसे भारी, पंचायत व विकास अधिकारी, केवल नाम के अधिकारी!
एक हफ्ते में दूसरी बार हेडपंप खराब, गर्मी में ग्रामीण बेहाल, जिम्मेदार बेखबर
निवाई ( सच्चा सागर) ग्राम महासिंहपुरा उर्फ मंजूकड़ा, जो ग्राम पंचायत चनानी पंचायत समिति निवाई के अंतर्गत आता है, इन दिनों भीषण गर्मी के साथ-साथ प्रशासनिक उपेक्षा का भी शिकार बना हुआ है। मोक्षधाम में लगा हेडपंप मात्र एक हफ्ते में दूसरी बार जवाब दे गया है, लेकिन उसे ठीक करने वाला कोई नहीं , यहां आस-पास के चरावाह व राहगीर पानी के लिए तरस रहे है , मजुकङा गाँव के निवासी सुरज्ञान गुर्जर बताते हैं कि जब हेडपंप खराब हुआ तो रामअवतार प्रजापत नामक हेडपंप मिस्त्री को बार-बार फोन किया गया, लेकिन जनाब के कान पर जूं तक नहीं रेंगी। जब कई बार कॉल किया गया तब कहीं जाकर मिस्त्री महोदय ने फोन उठाया और जवाब दिया आज नहीं, तीन दिन बाद आऊंगा... गर्मी में यही एक काम थोड़े ही करता हूं! अब सवाल यह है कि क्या एक सरकारी मिस्त्री का काम आम जनता को लाइन में लगाने का है? क्या ग्रामीणों की पानी जैसी बुनियादी ज़रूरतें भी "सीनियॉरिटी और सुविधा" से तय होंगी? पंचायत के प्रशासक और ग्राम विकास अधिकारी की भी नींद नहीं खुली है। एक तरफ राज्य सरकार गांवों में "जल जीवन मिशन" चला रही है, दूसरी ओर ज़मीनी हालात यह हैं कि यहां भेड़ बकरी चराने वाले चरवाहा व राह चलते राहगीर बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं। सरकार भले ही योजनाओं की झड़ी लगा दे, लेकिन जब क्रियान्वयन की ज़िम्मेदारी ऐसे मिस्त्रियों और निष्क्रिय अधिकारियों के भरोसे छोड़ दी जाए, तो नतीजे ऐसे ही शर्मनाक होंगे। यह केवल हेडपंप नहीं टूटा है, यह जनता का विश्वास टूटा है। सरकार को चाहिए कि रामअवतार प्रजापत जैसे लापरवाह मिस्त्रियों पर कार्रवाई करे पंचायत कर्मचारियों को जवाबदेह बनाए और जनता को राहत दिलाए क्योंकि अगर पानी की किल्लत में कोई मरता है, तो उसकी जिम्मेदारी सिर्फ गर्मी की नहीं व्यवस्था की भी होती