1857 की क्रांति

 1857 की क्रांति


क्रांति से पूर्व गठित प्रमुख घटनाएं लार्ड वेलेजली ने 1798 ईस्वी में सहायक संधि प्रथा का प्रचलन किया प्रथम रियासत हैदराबाद थी निजाम अली ने 1798 ईस्वी में मराठों के आक्रमण से परेशान होकर यह संधि की राजस्थान में यह संधि करने वाली प्रथम रियासत भरतपुर थी सितंबर 1803 में रणजीत सिंह  संधि की, दितीय रियासत अलवर ने नवंबर 180 3 में बख्तावर सिंह ने संधि की, 


लॉर्ड हेस्टिंग्स-1817 मैं आर्थिक पार्थक्य नीति का प्रचलन किया इस नीति के तहत संधि करने वाले प्रथम राजपूत रियासत करौली थी 1817 में करौली टोक कोटा ने  संधि की, 1818 मारवाड़ , मेवाड़ ने संधि की , 1819 जैसलमेर, 1823 सिरोही के शासक शिव सिंह ने संधि की, 


डलहौजी की हड़प नीति ,  गोद निषेध नीति ( 1848-56) 

1848 मैं हड़प नीति का प्रचलन किया गया इस नीति के तहत निम्नलिखित राज्यों का अंग्रेजी राज्य में विलय किया गया सातारा जैतपुर संबलपुर बाघाट उदयपुर झांसी नागपुर


अंग्रेजों ने कुशासन का आरोप लगाकर अवध व  मैसूर का विलय किया 

*इस क्रांति के समय विभिन्न पदों पर नियुक्त व्यक्ति* 

ब्रिटेन में महारानी विक्टोरिया टॉम्बस्टोन भारत का गवर्नर जनरल लॉर्ड कैनिंग राजस्थान का एजी जी पैट्रिक लॉरेंस ए जीजी पद का सर्जन 1832 में गवर्नर जनरल लॉर्ड विलियम बेंटिक के समय किया गया था प्रथम एजीजी  लॉकेट था,  1845 में एजीजी का ग्रीष्मकालीन केंद्र अजमेर से माउंट आबू किया गया। 


इस क्रांति का राष्ट्रीय नेतृत्व अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर द्वितीय ने किया था

राजस्थान में आववा  के ठाकुर खुशाल सिंह चंपावत को माना गया है


क्रांति के प्रतीक चिन्ह रोटी सामान्य वर्ग के लिए कमल का फूल कुलीन वर्ग के लिए 


क्रांति की योजना बनाई थी अजीमुल्ला खान कानपुर रंगो जी बापू सातारा पूर्व निश्चित तिथि 31 मई 1857 क्रांति प्रारंभ तिथि 10 मई 1857 प्रथम शहीद मंगल पांडे 34b रेजीमेंट बटालियन बलिया यूपी निवासी 

29 मार्च अट्ठारह सौ सत्तावन दो अंग्रेज अधिकारियों की हत्या लेफ्टिनेंट बाग, मेजर हयूसर्न 


क्रांति के तत्कालीन कारण

चर्बी वाले कारतूस ओं की घटना होल्डिंग ने ब्राउन बेन के स्थान पर एनफील्ड राइफल को लागू किया 


राजस्थान में क्रांति के प्रमुख स्थल


*नसीराबाद छावनी* में क्रांति 28 मई 18 57 को नेतृत्व बख्तावर सिंह छावनी अधिकारी प्रिचार्ड 15 वी एन आई कि अजमेर शहर से हटाकर नसीराबाद छावनी में नियुक्त किया गया इन सैनिकों के हथियार जमा कर लिए जब बख्तावर सिंह ने   पूछा था कि हमारे साथ ऐसा व्यवहार क्यों किया जा रहा है क्या हम विद्रोही हैं यह क्रांतिकारी भरतपुर रियासत से होते हुए दिल्ली पहुंचे । 


*भरतपुर रियासत में क्रांति* (31 मई 1857) गुर्जर व मेव जाति के द्वारा , भरतपुर का शासक जसवंत सिंह का पीएम मॉरीसन था मॉरिसन ने भागकर आगरा  दुर्ग में शरण ली । 


नीमच छावनी में क्रांति 3 जून अट्ठारह सौ सत्तावन कर्नल एयरपोर्ट अंग्रेज अधिकारी क्रांति का नेतृत्व करता अनिल बैंक हीरा सिंह आटे में हड्डी का चूरा होने की अफवाह फैला फैलाकर विद्रोह किया गया इस दौरान कर्नल अवार्ड द्वारा भारतीय सैनिकों को स्वामी भक्ति की शपथ दिलाई गई जिसका विरोध करते हुए मोहब्बत अली बेग ने कहा था कि जब अंग्रेजों ने अपने शपथ का पालन नहीं किया तो हम भी बातें नहीं हैं नीमच से भागे 40 सदस्यों ने चित्तौड़ के डूंगला गांव किसान रुका राम के घर शरण ली मेवाड़ के महाराणा स्वरूप सिंह ने पिछोला झील के जग मंदिर में इनको ठहराया नीमच के क्रांतिकारी शाहपुरा रियासत के लक्ष्मण सिंह ने शरण दी अंग्रेज अधिकारी 100 वर्ष के लिए इन्होंने किले का दरवाजा नहीं खोला ए क्रांतिकारी टोंक रियासत से होते हुए दिल्ली पहुंचे


टोंक रियासत में क्रांति 10 जून अट्ठारह सौ सत्तावन तत्कालीन नवाब वजीर उद दौला थे जिन्होंने अंग्रेजों का साथ दिया अतः आप लोगों द्वारा इनको ईसाइयों का राजा भी कहा गया टोंक रियासत में अंग्रेजी सैनिक छावनी देवली में स्थित थी जहां 5 जून को सैनिकों ने विद्रोह किया तथा 10 जून तक टोंक की रियासत की सेना भी उनके साथ मिल गई थी नेतृत्व  नासिर मोहम्मद अमीर अली उन्होंने तात्या टोपे का साथ दिया , तात्या टोपे का सर्वाधिक हस्तक्षेप टोंक रियासत में माना जाता है क्योंकि प्रजा ने क्रांतिकारियों का साथ दिया था टोंक रियासत से 600 मुजाहिद बहादुर शाह की सहायता के लिए दिल्ली पहुंचे इतिहासकार मोहम्मद मुजीब के अनुसार महिलाओं द्वारा भी क्रांति में भाग लिया गया था एकमात्र टोंक रियासत से 


अलवर में क्रांति 11 जुलाई 18 57 राजा बने सिंह ने अंग्रेजों का साथ दिया 


अजमेर नगर में क्रांति 9 अगस्त 1857 तारागढ़ की कारागार पर आक्रमण करते हुए 50 से अधिक बंधुओं को मुक्त कराया कर्नल डिक्सन ने ब्यावर से मेयर रेजीमेंट को अजमेर भेजा तथा जोधपुर महाराजा तख्त सिंह ने कुशाल सिंह सिंघवी के नेतृत्व में जोधपुर की राजकीय सेना को अजमेर भेजा तो था अजमेर में शांति स्थापित की 


एरिनपुरा छावनी में क्रांति 21 अगस्त 1857 को पाली नेतृत्व शीतल प्रसाद तिलकराम मोती खान ए जी जी के पुत्र एलेग्जेंडर की हत्या की थी क्रांतिकारियों का साथ ठाकुर शिवनाथ सिंह ने भी दिया था शिवनाथ सिंह के नेतृत्व में एरिनपुरा की सैनिक दिल्ली की ओर चले नारा दिया चलो दिल्ली मारो फिरंगी नारनौल के युद्ध में अंग्रेज अधिकारी गराङ की सेना से यह क्रांतिकारी पराजित हुए परंतु घायल होने से गराङ की मृत्यु हो गई। 

आवा में क्रांति सितंबर अट्ठारह सौ सत्तावन ठाकुर कुशाल सिंह मारवाड के शासक तख्त सिंह  बीच रेख कर को लेकर मनमुटाव था जो युद्ध का कारण बना 


क्रांतिकारियों ने जोधपुर की राजकीय सेना व अंग्रेजी सेना को संयुक्त रूप से दो युद्ध में पराजित किया बिथोड़ा का युद्ध 8 सितंबर 18 57 पाली जिसमें कुशाल सिंह की सेना जीत गई और आज की सेना अंग्रेजी सेना अनार सिंह मारा गया तथा हिथकोट अंग्रेज अधिकारी भाग गया 

चेलावास का युद्ध 18 सितंबर 18 57 पाली इस युद्ध में क्रांतिकारियों के विरुद्ध जोधपुर की राजकीय सेना का नेतृत्व पीए माॅक मैसन ने किया तथा अंग्रेजी सेना का नेतृत्व ए जी जी पैट्रिक लॉरेंस ने किया था क्रांतिकारियों की विजय हुई मेक माॅसन का सिर काट कर  आऊवा के  किले के मुख्य द्वार पर लटका दिया


अंग्रेज अधिकारी होम्स में आवा के किले पर अधिकार किया तथा हुआ मैं इस क्रांति का दमन किया ठाकुर कुशाल सिंह ने आवाज जिले का भार लावा के किले का भार पृथ्वी सिंह को सौंपकर कोठारिया किशोर सिंह के पास शरण ली सलूंबर की केसरी सिंह ने भी कुशाल सिंह को शरण दी 1807 ईस्वी में नीमच छावनी में कुशाल सिंह ने आत्मसमर्पण किया उनके अपराधों की जांच हेतु अंग्रेजों ने टेलर आयोग का गठन किया जिसकी रिपोर्ट के आधार पर कुशाल सिंह को अपराध मुक्त घोषित कर दिया 1864 में इसकी मृत्यु हो गई 

हवा में क्रांतिकारियों की प्रेरणा स्रोत सुगाली माता की मंदिर की कुलदेवी मानी जाती है इसकी धातु की मूर्ति है जिसके 10 सिर 54 हाथ बने हैं होम्स द्वारा यह मूर्ति अजमेर ले गई वर्तमान में पाली के बांगड़ संग्रहालय में सुरक्षित है कामेश्वर महादेव मंदिर आऊवा 


कोटा में क्रांति 15 अक्टूबर 1857

कोटा शासक राम सिंह द्वितीय , नेतृत्व रिसालदार जय दयाल कांमा, मेहराब खां करौली सैनिक टुकड़ियों नारायणी पलटन और भवानी पलटन थी ।

कोटा में क्रांतिकारियों ने समानांतर सरकार का गठन किया यहां सर्वाधिक समय तक क्रांति हुई कोटा में सर्वाधिक व्यवस्थित क्रांति हुई अंग्रेज अधिकारी मेजर बर्टन का सिर काटकर कोटा की गलियों में घुमाया गया बटन के पुत्र फ्रैंक और ऑर्थो डॉक्टर सैडलर डॉक्टर कॉटन के हत्या कर दी गई रामसिंह द्वितीय को 6 महीने तक राजमहल में बंदे रखा गया अंग्रेज अधिकारी रॉबर्ट ने करौली महाराजा मदन पाल की सहायता से कोटा पर पूर्ण अधिकार किया कोटा राजाराम सिंह द्वितीय के सम्मान में दी जाने वाली तोपों की सलामी संख्या 17 से घटाकर 13 कर दी गई करौली महाराजा मदन पाल की सलामी संख्या 13 से बढ़ाकर 17 कर दी गई जीसीआई का सम्मान भी दिया गया कोटा महाराजा रामसिंह द्वितीय ने अपनी जनानी डोडी की रक्षा हेतु मेवाड़ के महाराणा स्वरूप सिंह को पत्र लिखा


धौलपुर रियासत में क्रांति 27 अक्टूबर 18 57 शासक भगवंत सिंह क्रांतिकारी रामचंद्र और देवा गुर्जर

ग्वालियर से आए क्रांतिकारियों ने क्रांति प्रारंभ की अंग्रेजों ने पटियाला पंजाब से सेना मंगवा कर क्रांति का दमन किया करौली राजस्थान में एकमात्र रियासती जहां क्रांति प्रारंभ करने वाले दमन करने वाले दोनों ही बाहरी थे। 


स्रोत हिंदी ग्रंथ अकादमी पुस्तक डॉक्टर गुंजन जैन डॉक्टर नारायण लाल माली


नोट्स 

रामबिलास लांगङी 

( मास्टर ऑफ आर्ट्स इतिहास राजकीय महाविद्यालय टोंक)

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