कोरोना की घात से बचाएं* *अनमोल है मासूम- प्रमोद स्वर्णकार*

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आँवा/टोंक

जाग मुसाफिर जाग...

कोरोना का खतरा अभी टला नहीं है।

तीसरी लहर की आहट सुनाई देने लगी है।

वो भी कोरोना के खतरनाक वैरिएंट के साथ,

जिसको वैज्ञानिक भी पूरी तरह पढ़ व समझ भी नहीं पा रहे हैं।

डर है कि अब तक हुआ वेक्सीनेशन इस वैरिएंट के लिए बेअसर साबित न हो जाए।

दक्षिणी अफ्रीका सहित यूरोप के कई देशों में इसके संक्रमण से समूचे विश्व में दहशत फैल गई है।

फ्रांस, लंदन व न्यूयॉर्क में खतरा बढ़ा है।

सब अलर्ट मोड़ पर आ गए हैं।

वैदेशिक पर्यटकों के आगमन से राजस्थान के पुष्कर में भी इनकी पहचान हुई है।

जिससे, हमारी नींद एक बार फिर उड़ने लगी है...

तीसरी लहर में,

 बच्चे सर्वाधिक प्रभावित हो सकते हैं।

ये, नन्हें मासूम ही हमारी असली पूंजी व धरोहर है।

इनका किसी प्रकार का अहित हमारी आँखें देख नहीं पाएगी....

विगत दो लहरों ने जो घाव दिए हैं,,,

वो, कभी भर नहीं सकते,,,

 इस महामारी से,

हमारे कितनेअपने,

 काल का ग्रास बन हमसे हमेशा के लिए, जुदा हो गए हैं।

देश-प्रदेश में भी लाखों मौते हुई है।

कोरोना ने जो असहनीय दर्द दिया है, 

वो नासूर बनकर,

 हमेशा दिल को तड़पाता व कुचेलता रहेगा... 

कभी न भूला पाने वाला ये अमिट दर्द,,

 बहुत कुछ सबक भी देकर गया है,,,

इसके बावजूद,

 हम है कि लापरवाह बने हैं।

वक्त गुजरने के साथ ही बरती जाने योग्य,

सारी पाबन्दियां,

 सावधानियां,

शक्तियां व 

हिदायतें भूलते जा रहे हैं।

कोरोना एडवाइजरी की धाज्जियाँ उड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़े जाने से....

प्रदेश में 25 दिन में 40 के लगभग बच्चे कोरोना से संक्रमित होने ने हमारी चिंता बढ़ा दी है।

 विगत कोरोना काल मेंआर्थिक, सामाजिक पहलुओं को क्षति पहुंचने के साथ,,

हमारे शैक्षिक ढांचे को भी बहुत नुकसान पहुंचा है...

विद्यालय बन्द होने से,,

 जो गैप पैदा हो गया,, 

वर्षों तक उसकी क्षतिपूर्ति व भरपाई नहीं हो सकेगी।

विगत 15 नवम्बर 2021 से

प्रार्थना सभाओं, उत्सवों को पूरी छूट देने के साथ,,,

विद्यालयों को ...

विद्यार्थी की 100 फीसदी क्षमता से खोल दिया गया था।

पर इतनी सावधानी नहीं बरती जा रही है...

ऑन लाइन शिक्षण पर फोकस कम होता जा रहा है ,,,,

हमारी लापरवाही के दुष्परिणाम सामने आए,,,

प्रतिदिन दर्जनों बच्चे कोरोना संक्रमित हो रहे हैं।

साथ ही विदेशों में यकायक फिर  इसके आंकड़े बढ़े हैं। 

वो भी नए शक्तिशाली वैरिएंट के साथ,,

जिसके फलस्वरूप सरकार ने इस महामारी की रोकथाम के लिए सख्त कदम उठाते हुए कोरोना की नई गाईड़ लाइन जारी की है।

  गाइड लाइन के तहत शैक्षणिक संस्थान नई तैयारियों के साथ शिक्षा देंगे। 

बड़ी राहत अभिभावकों को मिली है, अब सभी संस्थानों को ऑनलाइन क्लास को अनिवार्य रखना होगा, ताकि बच्चे घर से भी पढ़ाई कर सकें।

 स्कूल संचालक अभिभावक पर बच्चे को स्कूल भेजने का दबाव नहीं बना सकेंगे। 

किसी स्कूल में छात्र कोरोना पाॅजिटिव पाए जाते हैं, तो संस्थान 10 दिन के लिए सील किया जाएगा। 

सभी शिक्षण संस्थानों में प्रार्थना सभा पर रोक लगा दी गई है। 

साथ ही किसी भी प्रकार के भीड़-भाड़ वाले कार्यक्रम का आयोजन नहीं किया जाएगा।

नवीन प्रावधानों में पूर्व की कई बातों को दोहराया गया है।

जैसे-जैसे मामले बढ़ रहे हैं,,

नित रोज नई एडवाइजरी आने के साथ सरकारी पाबन्दियां बढ़ती जा रही है..

देखना ये है कि,,

 जितनी हिदायत व सावधानियां बरती जानी चाहिए,,,

 क्या बरती जा रही है?

कहीं, हम बिल्कुल गैर जिम्मेदार व लापरवाह तो नहीं हो गए हैं।

क्योंकि हर आयोजन में ऐसा ही लग रहा है।

शादियों की धूम मची है।

 धार्मिक , सामाजिक व राजनैतिक इत्यादि अन्य गतिविधियां आयोजित करने का प्रकार,

उनमें तादाद

व उनमें उड़ती सोशियल डिस्टेंस की धूल,,,

शूल बनती जा रही है...

जैसे, हम स्वयं ही कोरोना का सादर आमंत्रण दे रहे हैं..

इससे हमारी आने वाली पीढ़ी,,

जो हमारा भविष्य है,,

इन नोनिहालों पर अधिक खतरा मंडराने लगा है।

 अरे ये , मासूम ही तो अपना सपना है,,,

जिनकी, आँखों में,,,

 हमारा संसार तैर रहा है,,

जो, हमारे जीने की उम्मीद व सहारा है,,,

 उनकी जिंदगी हमारी लापरवाही से खतरे में आन पड़ी है...

कहीं, हम ऐसी भूल तो नहीं कर रहे,,,

जिसका कोई प्रायश्चित ही न हो,

आने वाली पीढ़ी ही नहीं,

हम भी स्वयं को कभी माफ़ न कर पाएं...

मैं इन गतिविधियों का विरोधी नहीं पर,,

इसके साथ जितनी

सेनेटाइजर व मास्क की अनदेखी हो रही है।

सोशल डिस्टेंस की हवा उड़ रही है।

चिंता का विषय है..

वाहनों में बिना मास्क के ठसाठस भीड़ को देखकर, अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मारने जैसा लगता है,,,

अनदेखी व हमारी लापरवाही 

से अनहोनी घट सकती है ..

गृह व चिकित्सा विभाग और मीडिया हमें कोरोना संक्रमण के बढ़ते आंकड़े दर्शा कर बार-बार आगाह कर रहा है,

 विदेशों व बाहरी राज्यों में तो इसका खतरा ओर बढ़ा है।

इसके बावजूद हम  बेखबर हो,

बेतहाशा भीड़ के शिकार हो रहे हैं।

कौन करेगा,,,

 हम पर नियंत्रण?

कौन करेगा,,

समझाइस?

किसकी मानेंगे हम ?

क्या सरकार व प्रशासन की सख्ती ही इसका एक मात्र हल है।

क्या हम स्वयं नहीं जाग सकते?

क्या हम,,

स्व नियंत्रण व  स्वानुशासन से इस पर अंकुश नहीं लगा सकते?

जाग मुसाफिर जाग,

अब तो जाग...

अभी तो हमने इसका दंश झेला ही है,,,,

एक वर्ष भी नहीं हुआ,,,

कैसा विकट समय था?

अर्थव्यवस्था ही नहीं,,,

सबकुछ तहस-नहस हो गया था।

सब रास्ते बंद हो गए थे,

हर तरफ मौत का नंगा नाच हो रहा था।

हममें से हर कोई भयभीत था,

औसतन हर गांव व परिवार ने जो असहनीय वज्राघात सहा था।

ईश्वर न करे कि फिर वो हालात आए।

राहत की बात ये तो है कि,

सरकार व आमजन के सहयोग से रिकॉर्ड वेक्सीनेशन हुआ है।

पर अभी भी आंकड़ा शत प्रतिशत के करीब नहीं पहुंचा है,

बच्चों का टीकारण तो अभी शुरू भी नहीं हुआ,,,

ओर फिर इस नए वैरिएंट का क्या भरोसा?

अभी तो इसकी प्रकृति भी खोज व शोध का विषय बनी है।

 हमारी राजधानी जयपुर में भी कोरोना का संक्रमण इस कदर बड़ा है कि ये कोरोना का कैरियर सा बनने लगी है।

हर दिन भयानक आकड़े सामने आ रहे हैं,

जिनमें विद्यालय सर्वोपरी हैं...

जिसे देखते हुए सरकार ने नए कड़े कदम उठाए हैं।

मैं सभी साथियों से अपील करता हूँ कि, हमारे बच्चे हमारा सब कुछ है,,,

इनके बिना,,

 हम कुछ भी तो नहीं,,,,

 तो,,,

जागृति लाएं,,

कोरोना गाईड लाइन का पालन करें व कराएं।

इस महामारी में ऐसी भूमिका अदा करें, 

जिस पर सभी को नाज़ हो,,, 

 हम दी गई कोरोना एडवाइजरी को शत प्रतिशत अपनाएं....  इस पर अमल करें, व सभी से पालन भी कराएं।

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