निवाई (सच्चा सागर) ग्राम पंचायत सिरस में पुश्तैनी आवासीय मकान का कूट रचित दस्तावेजों से पट्टा बनाने का मामला प्रकाश में आया । जिसकी शिकायत विकास अधिकारी पंचायत समिति निवाई को करने पर शीघ्र निस्तारण के आश्वासन दिया बाद में राजनैतिक हस्तक्षेप के चलते पीड़ित पक्ष को यह कहते भगा दिया कि सरकारी काम है जैसा होगा वैसे ही होगा।
इस आश्य को लेकर जिला कलेक्टर को पीड़ित गोपाल बिहारी गौत्तम ने शिकायत करते हुए बताया कि प्रार्थी का पेतृक आवासीय मकान ग्राम पंचायत सिरस में हैं। पीड़ित को कुछ सूत्रो से पता चला कि उसके पेतृक आवासीय मकान का किसी ने कूट रचित दस्तावेजों के जरियंे पट्टा बनाकर हडपने के प्रयास किये जा रहे है। क्योंकि बीते कुछ वर्षो से सूना पडा हैं वे यहां नही रह रहे है। इसी का फायदा उठाया गया ।
पीड़ित ने जिला कलेक्टर को लिखे पत्र में यह भी बताया कि जब पता चला तो ग्राम पंचायत पहुंच कर इस सम्बध में जानकारी चाही गई। लेकिन ग्राम पंचायत सरपंच एवं ग्राम विकास अधिकारी ने कोई संतोषजनक जानकारी नही दी तथा धमकिया देकर डांटते फटकारते हुए पंचायत से बाहर चले जाने का कहा गया।
बाद में पीड़ि गोपाल बिहारी गौत्तम ने उक्त आवासीय मकान सम्बधित सूचना के लिए सूचना के अधिकार के तहत जानकारी चाही। लेकिन निर्धारित अवधि तक ग्राम पंचायत द्वारा वांछित जानकारी मुहैया नही करवाई गई। तत्पश्चात प्रथ सूचना अधिकारी सरपंच को अपील करने पर 20 मार्च 2020 को प्रमाणित फोटो प्रतियां उपलब्ध कराई गई। लेकिन लॉक डाउन लग जाने के कारण कूट रचित दस्तावेज से पेतृक मकान को हडपने वाले लोगों के विरूद्ध कोई कानूनी कार्यवाही नही कर सका।
9 जून 2020 को पीड़ित गोत्तम ने ग्राम पंचायत सिरस के फैसले एवं कूट रचित दस्तावेजों से जारी किये गये पट्टे के विरूद्ध पंचायत समिति निवाई में विकास अधिकारी के यहां अपील की गई। इस पर विकास अधिकारी ने पीड़ित को आश्वस्त किया कि 7 दिवस में मामलें का निस्तारण कर दिया जाएगा। लेकिन विकास अधिकारी डा. सरोज बैरवा ने 30 जून तक 3 सप्ताह बीत जाने के बाद भी कूटरचित दस्तावेजों से पुश्तैनी मकान हडपने वाले लोगों के खिलाफ कोई कारगर कार्यवाही अमल में नही लाई गई।
जब कोई कार्यवाही नही होती दिखी तो पीड़ित पुनः स्मरण पत्र लिखते हुए विकास अधिकारी डा. सरोज बैरवा के पास इस उम्मीद के साथ पहुंचे कि उसकी सुने। लेकिन विकास अधिकारी उल्टे सुनने के बजाए पीड़ित को ही डाटते फटकारते कहा कि सरकारी काम है होते है जैसे ही होगें और बाहर चले जाने का कहा । क्या यही हैं सरकार का गुडगर्वेनेंस ! आज चार पंाच माह बीत जाने के बाद भी पीड़ित की सुनवाई नही हो रही है। अब गोपाल बिहारी गौत्तम न्याय चाहने के लिए दर दर भटकने को विवश है। पर पीड़ित की आखिर सुने कौन।

