लोकेश कुमार गुप्ता
चाकसू (सच्चा सागर) राजस्थान सरकार ने चाकसू उपखंड क्षेत्र की आम जनता को चाकसू में ही बेहतर चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए वर्ष 2016-2017 में बजट के दोरान सामुदायिक स्वास्थ्य
केन्द्र को क्रमोन्नत करते हुए सैटेलाइट हाॅस्पिटल बनाने की घोषणा कर दी। तत्कालीन चिकित्सा अधिकारी ने सूचना प्राप्त होते ही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को बदल कर अस्पताल भवन पर सैटेलाइट हाॅस्पिटल
चाकसू अंकित करवा दिया। आम जनता का दुर्भाग्य ही समझना चाहिए कि लगभग 56 माह गुजरने के बाद भी सैटेलाइट अस्पताल को न भुमि मिली और न ही भवन।सरकार बदली ,विधायक बदले,सभी के दावे और वादे धरातल पर खरे नहीं उतरे। प्राप्त जानकारी के अनुसार सैटेलाइट अस्पताल के लिए बाईपास के
नजदीक ही सरकारी विभागों के आसपास नगरपालिका ने भूमि का आवंटन कर दिया लेकिन विधिवत कब्जा नहीं संभलाया गया। प्रर्याप्त बजट स्विकृत होने के बावजूद निर्माण कार्य शुरु नहीं हो पा रहा। विभागों से जानकारी प्राप्त करने पर एक दूसरे
पर जिम्मेदारी डाल कर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं।
पूर्ण सुविधाओं एवं संसाधनों से युक्त भवन के निर्माण के लिए ग्यारह करोड़ से अधिक की राशि स्वीकृत हो चुकी।अगर नेता लोग समय समय पर जनहित के इस महत्वपूर्ण काम में रुचि लेते तो चाकसू उपखंड क्षेत्र के लोगों को सर्वाधिक लाभ मिलता,हर छोटे-बड़े काम के लिए जयपुर के चक्कर नहीं लगाने पड़ते। लेकिन किसी को चिंता नहीं लग रही।ऐसा जनता को अब महसूस होने लगा है। समय पर काम आरंभ होता सरकारी स्वीकृत बजट के अलावा विधायक एवं सांसद कोटे से भी पैसा लग सकता था।
सैटेलाइट अस्पताल सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार जनवरी 2019 में चाकसू बाईपास पर दो
हैक्टेयर जमीन का सैटेलाइट हाॅस्पिटल के लिए आवंटन कर दिया गया तथा मई 2019 में ही निर्माण के लिए 11करोड 24 लाख 63 हजार रुपये-पैसे का बजट भी स्वीकृत हो गया।इसके बावजूद निर्माण कार्य का नहीं होना विभागीय लापरवाही एवं जनप्रतिनिधियों की घोर उदासीनता का ही परिचायक है। अस्पताल के चिकित्सा प्रभारी डाॅ शंकरलाल प्रजापति ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि पूरा मामला डायरेक्टर चिकित्सा विभाग के पास लम्बित पड़ा है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के निदेशक
के के शर्मा के प्राप्त जानकारी के अनुसार सैटेलाइट अस्पताल के निर्माण संबंधित भुमि एवं भवन की फाइल बजट स्विकृति के बाद से ही चीफ इंजीनियर के यहां लंबित पड़ी है,निर्माण कार्य उनके ही अधिकार क्षेत्र में है।
यह सब विभागीय लापरवाही कहे या लालफीताशाही
आखिर इन सब का जिम्मेदार कौन है।भुगतना गरीब एवं ग्रामीण जनता को पड़ रहा है। सबकुछ स्वीकृत होने के बाद भी लगभग साढ़े चार साल से चाकसू के
नागरिकों को मूलभूत चिकित्सा सुविधाएं नहीं मिल पा रही है।विकास के बड़े बड़े वादे एवं दावे करने वाले जन नेता इस विषय पर गंभीरता के साथ सक्रिय नहीं हुएं।एवं सैटेलाइट अस्पताल अस्तीत्व में नहीं आया।
चिकित्सकीय सुत्रो के अनुसार सैटेलाइट हाॅस्पिटल
में सरकार के मापदंडों के अनुसार विभिन्न विषयों के 11चिकित्सक होने चाहिए।ग्यारह डाक्टर तो पोस्टेड
है लेकिन मेडिसिन एवं सर्जरी के विशेषज्ञ यहां नहीं है। सैटेलाइट अस्पताल होने के बाद यहां 37 प्रकार की विभिन्न जांच की निशुल्क व्यवस्था होनी चाहिए। नाममात्र की दिखाने को जांच की जा रही ,हो भी कैसे अस्पताल में रेडियोग्राफर,लेब टेक्निशियन,वार्ड ब्याय
एवं स्वीपर जैसें अहं पद रिक्त चल रहे हैं।
चाकसू सैटेलाइट हाॅस्पिटल से उपखंड क्षेत्र की 45
ग्राम पंचायतों के सैकड़ों गांव एवं ढाणियों के गरीब
ग्रामीण परिवारों को लाभ से वंचित होना पड़ रहा है। उपरोक्त सुविधाओं के अभाव में सामान्य मरीजों के अतिरिक्त आपातकालीन और सड़क दुर्घटनाओं में घायल मरीजो को जयपुर रैफर करने का पन्ना मरीज के परिजनों को थमा दिया जाता है एवं गंभीर से गंभीर मरीजों को भगवान भरोसे छोड़ दिया जाता है। परिणाम स्वरुप सामान्य मरीज बड़े अस्पतालों के चक्रव्यूह में फंस कर बर्बाद हो रहे हैं।अनेक मरीज जयपुर पहुंचे, उससे पहले ही भगवान को प्यारे हो जाते हैं। चाकसू कस्बा राष्ट्रीय राजमार्ग के उपर होने के कारण आए दिन होने वाले सड़क दुर्घटनाओं में गंभीर घायल मरीज आते रहते हैं,उनका समय पर उपचार नहीं होता।केवल जयपुर रैफर होता है।
चाकसू के प्रबुद्ध नागरिकसमाज सेवी युवा नेता शंकर गुर्जर , केदार शर्मा, रमेशचंद शर्मा,कजोड़मल जाट, विक्रमसिंह , अर्जुनसिंह,विक्रम गर्ग सुरज्ञानसिंह, ठेकेदार राधेश्याम शर्मा, सहित अनेक लोगों ने प्रशासनिक अधिकारीयों एवं जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों से आग्रह किया है कि अपना दायित्व निभाते हुए यथाशीघ्र चाकसू सैटेलाइट हाॅस्पिटल के निर्माण कार्य को पूरा करवाएं। जिससे जनता को लाभ मिल सके।
फोटो -चाकसू सैटेलाइट हाॅस्पिटल पुराने भवन में चल रहा है

