कोरोना की भेंट चढ़ा ४० साल पुराना पशु मेला पशुओ के रंग मे इस बार गुलजार नही होगा वनस्थली

 - संजय तिवारी



वनस्थली (सच्चा सागर) क्षेत्र के गणेश सरोवर  के समीप रेत के विशाल मैदान पर लगने वाला प्रदेश का प्रसिध्द पशु मेला कोरोना की  भेट चढ़ चुका है हर वर्ष अलग अलग पशुओ की आने वाली विचित्र आवाजे  इस बार सुनाई नही देगी  । मेले मे अपने पशुओ को सजा धजा के लाने वाले पशु पालको की बोली लगाते विभिन्न क्षेत्रो की आवाजे सुनने को नही मिलेगी ।मेले की शोभा बढाते रंग बिरंगे आभूषण से सजे धजे पशु मेले की भूमि पर कई दिखाई नही देंगे । इस बार आमतौर पर नवरात्रो के पावन पर्व के बाद दशहरे से लगने वाला ४० साल पुराना  दस दिवसीय पशु मेला इस बार नही लगेगा ।वनस्थली पंचायत प्रशासन के नियंत्रण मे टेडंर प्रक्रिया के माध्यम से  आयोजित होने वाले पशु मेले को पंचायत प्रशासन  इस बार आयजित  नही करेगा  


विभिन्न नस्ल के आते है पशु


मेले मे दुर दुर से विभिन्न नस्ल  के पशु आते है जिनमे ऊंट सुडौल काय मजबुत तेज चलने वाले बैल , बछडे,साचौर,  मालानी , नागौरी नस्ल के बैल,जेैसलमेरी ऊंट ,ऊंटनी, भैस, गाय,घोडे,घोडी,गधे ,पाढा,पाढी, टोरडिया,सहित अनेक प्रजातियो दर्जन भर नस्लो के जानवरो को अपने मालिक सजा धजा कर ऊंची बोली मे बेचने आते है


दुर दुर से आते है व्यापारी खरीदने


मेले मे आए हुए उन्नत नस्ल  के पशुओ को खरीदने के लिए उत्तर प्रदेश ,मध्य प्रदेश, हरियाणा,दिल्ली,गुजरात जयपुर ,जोधपुर, पाली ,नागोर,ख़ैरथल ,फरीदाबाद  सोनीपत,पानीपत,के मशहुर व्यापारी ऊचे दामो पर बेहतरीन नस्ल  के पशुओ को खरीद के ले जाते है


व्यापारियो को होगा लाख़ो का नुकसान


मेला आयोजन नही होने से कोरोना के बाद आस लगाकर बैठे व्यापारी निराश हो गए है क्योकि सालो से मेले मे विभिन्न प्रकार की कतारो की  कतारो मे लगने वाली दुकाने,खाने पीने के स्टाल,पशुओ के आभूषणो व रंग बिंरगी रस्सियो  से सजी दुकाने ढ़ाबे  आदि भी मेला नही भरने से नही लगेंगे जिससे व्यापारियो को लाखो का नुकसान होगा


वर्ष दर वर्ष फीका पडता पशु मेले का रंग

 

इस बार वनस्थली का गणेश तालाब का  यह मैदान पशुओ के रंग मे नही रंगेगा हांलाकि वर्ष दर वर्ष मेले मे आने वाले पशुओ की संख्या मे गिरावट आती जा रही है।इसके बहुत कारण है जिनमे पशुओ की घटती संख्या,आधुनिक मशीनो का चलन ,खेती मे बैलो  की घटती मांग  टैक्टरो का चलन तीन साल  के बछडो के परिवहन पर रोक आदि है क्षेत्र के किसान बताते है कि  पशुओ की मुक आंखे बहुत कुछ कह देती है। यह इशारो मे ही भावनाओ को व्यक्त कर देते है पहले अधिक संख्या मे लोग इनको निहारने खरीदने आते थे पर अब ऐसा नही है।


क्या  कहते है अधिकारी


इस बार आमतौर पर नवरात्रो के पावन पर्व के बाद दशहरे से लगने वाला ४० साल पुराना  दस दिवसीय पशु मेला इस बार नही लगेगा ।वनस्थली पंचायत प्रशासन के नियंत्रण मे टेडंर प्रक्रिया के माध्यम से  आयोजित होने वाले पशु मेले को पंचायत प्रशासन  इस बार आयोजित  नही करेगा  


विनोद परिडवाल ग्राम विकास अधिकारी वनस्थली पंचायत

वनस्थली फोटो 

गत वर्षो मे मेले मे  बिकने आए पशुओ से भरा मैदान


व इस बार सुना पडा मैदान

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने