लोकेश कुमार गुप्ता
चाकसू ( सच्चा सागर)जयपुर जिले के चाकसू उपखंड में कोटखावदा से राजस्थान आशा सहयोगिनी संगठन ने चाकसू विधायक वैद प्रकाश सौलकी, कोटखावदा तहसीलदार को ज्ञापन देकर कार्य का बहिष्कार कर दिया है जिससे आने वाले दिनों में सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में दिक्कत आने की पूरी संभावना बन गई है ज्ञापन में बताया गया है कि आशा सहयोगनी द्वारा अल्प मानदेय में आंगनबाड़ी केंद्रों और चिकित्सा विभाग के अंतर्गत कार्य कर रही है । जिसको एक ही विभाग के अधीन किया जाना चाहिए। आशा सहयोगिनी का मानदेय नही बढ़ाया गया। जबकि फील्ड वर्कर आशा सहयोगनी द्वारा किया जा रहा है। आशा सहयोगिनी द्वारा केंद्र पर नहीं जाकर पूर्ण रूप से कार्य का बहिष्कार कर दिया है ।ज्ञापन में बताया गया कि आशा सहयोगिनी द्वारा अल्प मानदेय में आंगनबाड़ी केंद्रों और चिकित्सा विभाग के अंतर्गत कार्य किया जा रहा है जिसको एक ही विभाग के अधीन किया जाना चाहिए।.राजस्थान सरकार के बजट में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका का मानदेय बढ़ाया गया लेकिन आशा सहयोगिनी का मानदेय नही बढ़ाया गया है. जबकि फील्ड वर्क आशा सहयोगिनी द्वारा किया जा रहा है।समस्त आशा सहयोगिनी प्रत्येक क्षेत्र में कम मानदेय में कार्य कर रही है वर्तमान समय में कोरोना जैसी बीमारी में आशाओं ने कार्य किया उसके बाद भी स्वास्थ्य विभाग की तरफ से उनका क्लेम फॉर्म का पैसा रोका गया ।वर्तमान समय में आशाओं के क्लेम फार्म जमा नहीं करवाए जाएंगे ।आगे भी कार्य का बहिष्कार जारी रहेगा
आशा सहयोगिनी ने बताया कि कांग्रेस पार्टी ने विधानसभा चुनाव 2018 में अपने घोषणा पत्र में आंगनबाड़ी केंद्रों पर कार्मिकों को राज्य कर्मचारी बनाए जाने की घोषणा की थी। ऐसे में आंगनबाड़ी आशा सहयोगिनी को भी स्थाई कर राज्य कर्मचारी बनाया जाए। ऐसे में 1970 से आंगनबाड़ी केंद्रों पर लगे समस्त महिला कार्मिक और आशा सहयोगिनी, जो 2004 से कार्यरत होने के बाद भी 2700 रुपए के मानदेय पर कार्यरत हैं. ऐसे में लंबा समय बीतने के बाद भी महिला कार्मिकों को सरकार स्थाई कर्मचारी नहीं मान रही है। महिला कार्मिकों ने मुख्यमंत्री और महिला बाल विकास विभाग के नाम ज्ञापन सौंपकर मानदेय पर लगी महिला कार्मिकों को स्थाई किया जाए।राज्य में हजारों की संख्या में मानदेय पर कार्यरत महिला कार्मिकों ने समय-समय पर स्थायीकरण की मांग को लेकर धरने-प्रदर्शन किए हैं। कांग्रेस सरकार द्वारा चुनावी घोषणा पत्र में वादा करने के बाद भी महिला कार्मिकों को स्थाई नहीं करने पर अब इन महिला कार्मिकों में अब आक्रोश फुटने लगा है।