खानाबदोश लोग तो आंसमा के पटके धरती के झैले लोग है सरकारी महकमो के कारिन्दो के चलते राष्ट्र की मुख्यधारा से नही जुड सके कालबेलिया परिवारं

 -सुरेश फागणा


निवाई (सच्चा सागर)  ग्राम पंचायत राहोली में विगत 50 वर्षो से रह रहे रामकंुवार एवं देवनाथ खानाबदोश कालबेलियां जाति के रामकुंवार एवं देवनाथ ने बताया कि हमतो सरग का पट्क्या धरती का झैल्या  50 परिवार हैं । हम आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। ना कभी ग्राम पंचायत ने इन खानाबदोश लोगों के हितों की चिंता की ना किसी सरकार ने इनकी चिंता कर इन वंचित परिवारों को राष्ट्र की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए प्रयास किये गये । जिसके चलते आज भी यह परिवार अभावों की जिन्दगी गुजर बसर करने के लिए विवश है।

ग्राम के कालबेलियां बस्ती के रामकुंवार एवं देवनाथ कालबेलियां ने इस संवाददाता को अपनी पीड़ा बताते हुए कहा कि देश आज कितना ही तरक्की करली पर ना आज हमें किसी विकास का पता ना , ना किसी तरक्की की पता ,ना योजना का पता । रामकुंवार एवं देवनाथ ने बताया कि अब तक कितनी ही बार प्रशासन गांवों के संग कैम्प,जन सुनवाई एवं रात्रि चौपाले आयोजित हुई हमारी अर्जियां ली गई लेकिन कोई सुनवाई नही कर सरकारी नुमाईन्दों ने सरकार की कल्याणकारी योजना में लाभ देने के बजाए महरूम ही किया।

रामकुंवार बताते हैं जब हम ग्राम पंचायत में जाकर हम जहां रह रहे उस जमींनों के पट्टो की बात करते हैं तो हर यही कहा कौन हटाता हैं रहे पट्टे बन जाएगें तब दे देगंें। यह क्रम विगत 50 सालों से चला आ रहा हैं लेकिन आज तक हमें हमारे मकानों की जगह की जमींन का पट्टा तक नही मिला । रामकुंवार बताते हैं कि ग्राम पंचायत से हमारे 12 परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास स्वीकृत हो चुके है लेकिन 50 साल से एक ही जगह रहने के बाद भी हमें आवासीय भू-खण्ड का पट्टा नही होने से आज हमारे एक दर्जन परिवार प्रधानमंत्री आवास योजना से वंचित रह गये है।

यहां गौरतलब बात तो यह कि ग्राम मंे 30 बीघा भूमि आबादी के लिए बताते हैं । उक्त भूमि पर गांव के कुछ प्रभावशाली लोग कब्जा काश्त कर रहे है। लेकिन हल्का पटवारी आज तक उक्त अतिक्रमियों के विरूद्ध कोई कारगर कार्यवाही नही कर पा रहा है।

पट्टों के लिए अथक प्रयास कर लिये। लेकिन ग्राम पंचायत ना सरपंच सुनते है ना ग्राम विकास सचिव ना पटवारी। इसमें सबसे बडे कसूरवार वो खुद को भी मानते हैं कि शिक्षित नही हो सके । प्रशासन ने कभी उनकी नही सुनी हां केवल राशन कार्ड एवं आधार कार्ड जरूर बना दिये ।ना हमारे जाति प्रमाण पत्र बनाये जाते ना मूल निवास, ना हमारे वृद्धो को राष्ट्रीय सामाजिक पेंशन योजना का लाभ मिला ना अन्य किसी सरकार की कल्याणकारी योजना का लाभ ग्राम पंचायत के ग्राम विकास अधिकारी ने दिलाने की जरूरत महसूस की ।

रामकुंवार एवं देवनाथ बताते हैं अब हमारे बच्चों को गांव के सरकारी स्कूल में पढने के लिए भेजते हैं वहां भी हमारे बच्चों को कोई छात्रवृति का लाभ नही दिया जा रहा । इनका दुःखडा यह भी हैं कि हमंें नाथ मान लिया जाता हैं जबकि हमारी मूल जाति कालबेलियां हैं जो अनुसूचित जाति में आती है। लेकिन हमारे बच्चों के जाति के प्रमाण पत्र ना तो ओ बी सी में बनाये जाते ना एस सी में। इसके अभाव में हमारे पढ़ने वाले बच्चे भी सरकारी योजनाओं से वंचित हैं। हम लोग खेतो की रखवाली कर गुजरबसर कर जीवन यापन कर रहे है।

यह बताते हैं कि आजादी के बाद हमारे घरो तक लाईट अभी दो तीन साल पहले पूर्व विधायक के अथक प्रयासों से आई हैं। हमारी आबादी में जाने के लिए मुख्य रास्ता भी ठीक से नही है एक खुर्रे का निर्माण के अभाव में हमारे लोगों को आने जाने मंें काफी असुविधा उठानी पड रही हैं। देवनाथ एवं रामकुंवार कालबेलियां बताते ऑखों में आंसू आ गये वे बता रहे थे कि हमारे ही परिवार के एक बच्चे को सांप ने डस लिया जिसकी मौत हो गई। एक लडकी जल जाने से विकलांग होकर बैठी हैं लेकिन हमें ग्राम पंचायत के ग्राम विकास अधिकारी की उपेक्षा के चलते सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ आज तक नही मिला। ना सांप कांटने से हुए बालक की मौत का मुआवजा ना लडकी जलने पर उसका विकलांग सर्टिफिकेट मिला।

रामकुंवार एवं देवनाथ बताते हैं कि हमारी आबादी में हैण्डपम्प नही होने के कारण हमें पेयजल के लिए काफी परेशानी उठानी पड रही हैं । लगभग 300 की आबादी में बीसलपुर परियोजना का एक पोईंट ही दिया हैं वो भी दो दिन में एक बार ही पेयजल आपूर्ति होती ऐसे में दैनिक उपयोग के लिए आधा किलोमीटर दूर से दैनिक जरूरियात के लिए पेयजल का बंदोबस्त करना पडता है। यही नही हमारे समाज में मुर्दो को जलाया नही जाता ऐसे में हमारे शमशान पर पडोैसी खेत वाले हर साल शमशान को सिकोड कर कब्जा करने में लगे है। जिसकी शिकायत भी ग्राम पंचायत एवं तहसील प्रशासन को की गई लेकिन कोई सुनवाई नही हुई।

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