- शिवराज मीना
अलीगढ़/उनियारा,(सच्चा सागर)। उनियारा उपखण्ड क्षेत्र में प्रकृति की मार के चलते अन्नदाताओं के जीवन पर संकट छाया हुआ है। जिनकी सार-संभाल लेने वाला कोई भी नहीं है। जिसके कारण किसानों को अपने कृषि जीवन में दोहरी मार के संकट से गुजरना पड़ रहा है। जहाँ कृषि विभाग के अनुसार पलाई, कचरावता, बोसरिया तन के किसानों द्वारा लगभग 5500 हेक्टेयर में फसलों की बुवाई की गई। जिसमें 70 प्रतिशत उड़दों को बोया गया। लेकिन समय पर बारिश नहीं होने से किसानों द्वारा अपने खेतों में डाले गये 30-35% उडदों के बीज खेतों में ही नष्ट हो गए। वहीं किसानों को ज्वार, बाजरा में कीट आदि रोग का प्रकोप होने से भी काफी नुकसान पहुंचा है।
कृषि पर्यवेक्षक थैलेंद्र सिंह ने बताया कि किसानों को काफी नुकसान हुआ है। कृषि विभाग द्वारा समय-समय पर रोगों से बचाव के लिए कई प्रकार के उपचार बताए जा रहे है। लेकिन क्षेत्र में दवाईयां भी बेअसर हो रही है। जिससे किसानों के उड़द की फसलों में एलोमोजेक (फसलों का पीला पडना) रोग के चलते 50% फसलों का खराबा हो चुका है। आखिरकार प्रकृति प्रकोप से आम किसानों की कमर टूट चुकी है। इन किसानों का कोई धणी-धोरी कोई नहीं है। अब तो किसानों की नजरे राज्य सरकार की राहत पर टिकी हुई है। कर्ज तले दबा किसान, सरकारी योजनाओं का नहीं मिल रहा लाभ - आम किसानों द्वारा केसीसी का लाभ लिया जाता है। लेकिन सरकार द्वारा जारी बीमा फसलों का लाभ कई किसानों को नहीं मिल पा रहा है। दूसरी तरफ बारिश नहीं होने से किसानों को काफी नुकसान हुआ है। किसान राजूलाल सैनी, राधेश्याम सैनी, रामकिशन धाकड़, मोती मोहन धाकड़, रामदेव मीणा, किशन लाल धाकड़, हेमराज सैनी, रामकिशन गुर्जर, रामगोपाल, कन्हैयालाल सहित कई किसानों ने बताया कि इस वर्ष फसलों में नुकसान के अलावा कुछ भी नहीं हुआ है। जिसके चलते बोई गई फसलों में काफी नुकसान होने से कर्ज चुकाने के भी लाले पड़ गए हैं। वहीं बीमा योजना का भी लाभ नहीं मिल पा रहा है। जबकि हमसे बैंकों द्वारा बीमा राशि वसूल ली जाती है। वहीं आम किसान बारिश के नहीं होने से, फसलों के नहीं होने, सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलने से कर्ज तले दब चुका है। जिनकी दर्द भरी पीडा को सुनने वाला कोई भी नहीं है। जिससे आम किसान अंदर तक टूट चुका है।
---- इनका कहना है -----
कृषि विभाग उनियारा के सहायक कृषि अधिकारी मोरपाल मीणा एवं पलाई कृषि पर्यवेक्षक थैलेंद्र सिंह ने कहना है कि क्षेत्र में किसानों द्वारा लगभग 5500 हेक्टेयर में फसलों की बुवाई की गई। जिसमें 70% उडदो को बोया गया। किसानों के 30-35% बीज समय पर बारिश के नहीं होने से खेतों में ही नष्ट हो गए। वहीं किसानों को 50% एलोमोजेक रोग से नुकसान पहुंचा है तथा ज्वार, बाजरे में कीट व्यादि रोग से भी काफी नुकसान हुआ है। किसानों को फसलों में हुए नुकसान के मामले में उच्चाधिकारियों को अवगत करवा दिया गया है।
