सचिन पायलट ने की अशोक गहलोत से मुलाकात, पिता की पुण्यतिथि कार्यक्रम में आमंत्रित किया; पुरानी रार के बीच बढ़ती सियासी सरगर्मियां ।
रामबिलास लांगड़ी ( प्रबंध सम्पादक, दैनिक सच्चा सागर)
जयपुर, 7 जून 2025 ( सच्चा सागर)
राजस्थान की राजनीति में एक बार फिर हलचल मचाने वाली मुलाकात सामने आई है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने आज पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से शिष्टाचार भेंट की। इस मुलाकात को लेकर सियासी गलियारों में चर्चाओं का दौर तेज़ हो गया है।
सचिन पायलट ने अपने पिता, पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय राजेश पायलट की 25वीं पुण्यतिथि के अवसर पर 11 जून को दौसा में आयोजित होने वाले श्रद्धांजलि कार्यक्रम में अशोक गहलोत को आमंत्रित किया। बताया जा रहा है कि पायलट ने इस अवसर पर गहलोत से व्यक्तिगत तौर पर मुलाकात कर उन्हें कार्यक्रम में शामिल होने का निवेदन किया।
मतभेदों की पृष्ठभूमि
गौरतलब है कि 2018-2023 की कांग्रेस सरकार के दौरान अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच लंबे समय तक तनातनी चली। गहलोत ने कई मौकों पर सार्वजनिक रूप से पायलट पर 'गद्दार' जैसे आरोप लगाए, वहीं पायलट ने भी सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार, वादा खिलाफी और प्रशासनिक अनदेखी जैसे मुद्दों पर मोर्चा खोला था। 2020 में तो यह टकराव चरम पर पहुंच गया था, जब सचिन पायलट अपने समर्थक विधायकों के साथ अलग हो गए थे और गहलोत सरकार गिरने की नौबत आ गई थी।
राजनीतिक संकेत?
इस मुलाकात को केवल शिष्टाचार तक सीमित मानना जल्दबाज़ी हो सकती है। राजनीतिक पर्यवेक्षक इसे कांग्रेस में आंतरिक मेल-मिलाप और आने वाले विधानसभा चुनावों की रणनीति का हिस्सा मान रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि लोकसभा चुनावों के बाद राजस्थान कांग्रेस नेतृत्व में भी नई समीकरण बन रहे हैं और पार्टी आलाकमान दोनों नेताओं को एक मंच पर लाकर एकजुटता का संदेश देना चाहता है।
श्रद्धांजलि कार्यक्रम: सियासी मंच?
दौसा में होने वाला यह श्रद्धांजलि कार्यक्रम ना केवल राजेश पायलट की राजनीतिक विरासत को याद करने का अवसर होगा, बल्कि इसे पायलट गुट द्वारा शक्ति प्रदर्शन के तौर पर भी देखा जा रहा है। कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं, कार्यकर्ताओं और पायलट समर्थकों के बड़ी संख्या में मौजूद रहने की संभावना है।
कांग्रेस की एकजुटता की कोशिश
हालांकि अशोक गहलोत और सचिन पायलट दोनों ने मुलाकात के बारे में अभी कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया है, लेकिन कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि पार्टी अब गुटबाज़ी की छवि से बाहर निकल कर एकजुटता दिखाना चाहती है। लोकसभा में अपेक्षित प्रदर्शन न कर पाने के बाद कांग्रेस राजस्थान में अपने संगठन को मज़बूती देने की तैयारी में जुटी है।