“2500 टन ‘गायब नैतिकता’ की जब्ती: टोंक में अवैध बजरी माफियाओं पर 20 घंटे की कार्रवाई, अफसरों को अचानक हुआ कानून का दीदार!”
टोंक (विशेष संवाददाता दैनिक सच्चा सागर):
टोंक जिले में अचानक प्रशासन को नैतिक जागरण हुआ और उन्होंने सदियों से सो रही फाइलों को झाड़-पोंछकर 2500 टन अवैध बजरी पर बड़ी कार्रवाई कर दी। यह ऐतिहासिक कार्रवाई 20 घंटे तक चली, जिसमें अफसरों ने इतनी तेजी दिखाई मानो उन्हें ओलंपिक की रिले रेस जितनी हो।
बताया जा रहा है कि यह अवैध बजरी कारोबार पिछले कई महीनों या संभवतः वर्षों से ‘छुपा नहीं था’, बस देखा नहीं गया था। बजरी माफिया इतने शांति से काम कर रहे थे कि लगता था जैसे पर्यावरण की सेवा कर रहे हों।
लीजधारक की ‘सौम्यता’ पर संदेह नहीं
2500 टन बजरी जब्त कर लीजधारक चाण्डक एसोसिएट के यार्ड में “सौंप” दी गई — क्योंकि आखिर ‘अवैध को वैध’ बनाने के लिए देश में कानून कम, "समझौते" ज्यादा चलते हैं। अधिकारियों ने इतनी विनम्रता से अवैध स्टॉक सुपुर्द किया, मानो राखी पर बहन को गिफ्ट दे रहे हों।
प्रशासन की तेजी पर जनता हैरान
ग्रामीणों का कहना है, “हमें तो लगा ये बजरी कोई सांस्कृतिक धरोहर है, जो सालों से यहीं है। अब अचानक अवैध हो गई!”
स्थानीय सूत्रों ने बताया कि यह कारोबार इतने लंबे समय से चल रहा था कि वहां के ट्रैक्टरों ने खुद को 'खनन कर्मयोगी' घोषित कर दिया था।
20 घंटे की मेहनत के नायक कौन?
इस ऐतिहासिक ऑपरेशन में नायब तहसीलदार रतनलाल मीणा, भू-अभिलेख निरीक्षक अम्बालाल मीणा, पटवारी श्योजी जाट, खनिज विभाग के फोरमैन रघुवीर सिंह, और पुलिस जवानों ने ऐसा समर्पण दिखाया, मानो बजरी नहीं, देश की अखंडता पर खतरा मंडरा रहा हो।
सवाल जो बच गए कार्रवाई से:
- जब ये कारोबार वर्षों से चल रहा था, तब सरकारी आंखें इतनी देर तक बंद क्यों रहीं?
- अवैध बजरी ‘जब्त’ कर उसे फिर उसी के यार्ड में सौंप देना, क्या इसे “लीगल मिर्ची छिड़कना” कहते हैं?
- क्या अगली कार्रवाई तब होगी जब अवैध रेत से ताजमहल बनाने की कोशिश हो? 2500 टन बजरी जब्त करने से ज्यादा भारी भरकम चीज़ है सरकारी निष्क्रियता की चुप्पी, जो सालों तक कुछ नहीं देखती, फिर एक दिन अचानक ऐसे जागती है जैसे RTI का नोटिस आ गया हो।