ओमिक्रोन वेरिएंट है सबसे घातक, रहे सतर्क

@ राजेंन्द्र बागड़ी देवली। कोरोना का सबसे घातक वेरिएंट दुनिया के एक दर्जन से अधिक देशों में फैल चुका है। हालांकि अभी देश मे इसके प्रवेश के कोई सबूत तो नही मिले है लेकिन सतर्कता बहुत जरूरी हो गई है। इस वेरिएंट की रिपोर्ट भी जिओन सिक्वेन्सी के बाद जाहिर होगी। दक्षिणी अफ्रीकी देशों से देश मे आए यात्रियों को क्वारी टिन रखे जाने के बाद जो पॉजिटिव पाए गए है, उनकी रिपोर्ट जाहिर करेगी कि इस घातक वायरस से बचे हुए है या नही। कोरोना टास्क फोर्स के चेयरमैन एन के अरोड़ा के मुताबिक ये वेरिएंट घातक इसलिए हैं कि देश मे दूसरी लहर में तबाही मचाने वाले डेल्टा वायरस में म्यूटेशन 2 पाए गए थे लेकिन इस ओमिक्रोन में डब्ल्यू एच ओ के मुताबिक म्यूटेशन 32 है। जाहिर है ये किस कदर घातक है और मारक भी है। डब्ल्यू.एच. ओ. के मुताबिक अभी इसके लक्षणों पर खोज जारी है अर्थात अभी तक यही कहा जा सकता कि ओमिक्रोन वेरिएंट का ख़ौफ़ कितना है। क़ई देशों में कुछ दिनों से कोरोना के रोगियों की संख्या में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है। जिससे आशंका है कि कहीं इस वेरिएंट ने घुसपैठ तो नही कर ली है। एम्स के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया, कोरोना टास्क फोर्स के चेयरमैन एन. के. अरोड़ा भी संभावना जता रहे है कि जिन लोगों की प्रतिरक्षण क्षमता कम हो चुकी है, उन्हें बूस्टर डोज दी जाए या नही। इनमें वे लोग शामिल है जिन्हें केंसर समेत गम्भीर किस्म की बीमारियों ने जकड़ रखा है। हालांकि सरकार इस हालत पर कड़ी नजर रखे हुए है लेकिन बूस्टर डोज हालात पर निर्भर है। यदि इस घातक वायरस ने घुसपैठ की तो फिर बूस्टर डोज जरूरी होना लाजमी है। बूस्टर डोज का सीधा मतलब है कि जिन लोगों के दोनों डोज लगने के बाद यदि प्रतिरक्षण प्रणाली कमजोर हुई है तो उन्हें फिर से डोज लगाई जाएगी। पर इस डोज के लगाने का फैसला कैसे होगा और उन्हें कैसे चिन्हित किया जाएगा ये सवाल अभी अनिर्णीत है। शादी- ब्याह के समारोह बड़ी संख्या में हो रहे है और आगे भी होंगे। भीड़भाड़ रहनी है। ऐसे में यदि ओमिक्रोन ने घुसपैठ कर ली तो देश पर भारी पड़ेगा। यदि वैक्सिंग नही लगवाई है तो लगवा ले, ये अत्यंत आवश्यक है। अभी तक तो यही जीवन बचाने का जरिया है। कहा ये भी जा रहा है कि ओमिक्रोन वेरिएंट के फैलने पर अस्पतालों में शय्याओ की कमी भी आसकती है। मुंबई में तो दक्षिणी अफ्रीकी देशों से आए यात्रियों को पॉजिटिव पाए जाने के बाद उन्हें सीधा अस्पताल ही ले जाया जा रहा है। ऐसा ही कर्नाटक सरकार करने जा रही है।

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