मनोज मीणा भैरूबूल्या
निवाई (सच्चा सागर )
गणगौरी बाज़ार स्थित कंकाली माता के मंदिर की ख्याति निवाई ही नहीं सम्पूर्ण राजस्थान में फैली हुई है। नवरात्रों में यहां श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है।
मंदिर समिति अध्यक्ष शंकर लाल सोनी जी बताते है कि सन् 1993 में राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री भेरूसिंह शेखावत इस मंदिर में पधारे थे। शेखावत जी ने बताया था कि माता ने मुझे स्वप्न में दर्शन दिए थे। तब शेखावत जी जयपुर से हेलीकॉप्टर से यहां पधारे और 2 घंटे रुककर पूजा अर्चना की तथा मन्नत मांगी थी ।
अधिकांश दुनियां के देशों पर राज करने वाले ब्रिटिश साम्राज्य की महारानी विक्टोरिया और अन्य शासकों के 900 चांदी के कलदार सिक्के यहां माता के पैरो के नीचे फर्श पर लगाए गए हैं । मंदिर से जुड़े लोगों का मानना है कि देश पर शासन करने वाले शासक माता के चरणों के नीचे रहते हैं। नौ सौ सिक्के नव दुर्गा के प्रतीक हैं। मंदिर लगभग 700-800 साल पुराना है । लोगो की मान्यता है कि एक समय इस मंदिर पर औरंगज़ेब की सेना का आक्रमण हो गया था जैसे ही उनका सेनापति मंदिर और मुख्य प्रतिमा को तोड़ने पहुंचा उसी समय यहां मंदिर में लगी मधुमक्खियों ने उन पर हमला कर दिया ,इस अचानक हुए हमले से घबरा कर सैनिक यहां से भागने लगे और भागते-भागते यहां से लगभग 5 किलोमीटर दूर जाकर चैन की सांस ली तबसे उस गांव का नाम चैनपुरा पड़ गया जो पास में ही है , मधुमक्खियां सैनिकों को वहा तक दौड़ा कर वापस अपने छतो में आ गई थी। आज भी मंदिर में मधुमक्खीयो के छते लगे हैं।
इस घटना के बारे में सुनने के बाद खुद बादशाह औरंगजेब अपने ख़ास सैनिकों को लेकर यहां आया और यहां नतमस्तक हो गया। यहां उसने एक नागरी लिपि का शिलालेख खुदवा कर गृभगृह के मुख्य द्वार पर ऊपर इसे स्थापित करवाया उस में लिखवाया की यह बहुत ही पाक और पवित्र जगह है इसको नुकसान न पहुंचाए अगर कोई नुकसान पहुंचाता है तो वो सीधा खुदा का दुश्मन होगा और काफ़िर कहलाएगा। ख़ैर ये शोध का विषय है। मंदिर में दो बार भव्य यज्ञ किये गए हैं जो क्रमशः 2009,2013 हैं। इन यज्ञ की पूरणाहुति पर सभी समाजों और धर्मो के सम्पूर्ण निवाई शहर और आसपास के गांवों के हजारों भक्तगणों को भोजन प्रसादी करवाई गई थी जो अपने आप में एक भव्य और विशाल आयोजन रहा था।
