- शिवराज मीना
अलीगढ़/उनियारा (सच्चा सागर)। सुप्रीम कोर्ट ने भले ही बजरी खनन व परिवहन पर रोक लगा रखी है। लेकिन इन सबके बावजूद भी बावजूद उपखण्ड क्षेत्र के जिम्मेंदार अधिकारी पुलिस व वन विभाग एसआईटी टीम अवैध खनन परिवहन को रोकने में नाकाम साबित हो रही हैं। वहीं जिला पुलिस अधीक्षक टोंक भी इन दिनों अवैध खनन परिवहन की रोकथाम को लेकर सख्ती दिखाते नजर आ रहे है। लेकिन उसके बावजूद भी माफियाओं की मिलीभगत/सांठगांठ की जडे इतनी मजबूत है कि उनके यह अवैध गोरखधंधे पुलिस व वन विभाग एसआईटी टीम को शायद दिखाई नहीं दे रहे है। बजरी माफियाओं की पुलिस व वन विभाग के साथ सांठगांठ से बनास नदी में रात-दिन अवैध बजरी खनन व परिवहन कर बनास नदी का सीना छलनी करने में लगे हुये है। जिससे क्षेत्र के पर्यावरण पर भी विपरीत प्रभाव पड रहा है। दरअसल अवैध बजरी खनन के अवैध कारोबार से जुड़े लोगों को ना तो न्यायालय के आदेशों की परवाह है ना ही इनमें प्रशासन का खौफ नजर आता है। अवैध बजरी खनन से उनियारा उपखण्ड क्षेत्र के वन विभाग व उनियारा वृत के थानों की पुलिस पर भी कई तरह के सवाल उठते नजर आ रहे है।
माननीय सर्वोच न्यायालय द्वारा बजरी खनन पर रोक होने के बावजूद भी पुलिस व माफियाओं की मिलीभगत के चलते वे इतने सक्रिय हैं कि माफिया लोग बनास नदी के बनेठा व चौथ का बरवाड़ा क्षेत्र से अवैध बजरी खनन कर सैकड़ों ट्रैक्टर ट्रॉली व कुछ डम्पर ट्रक आदि अलीगढ़ थाना क्षेत्र में कस्बा अलीगढ़, आसलगांव, बामनियां, सहादतनगर, खेडली, चौरू, आमली मोड, पाटोली, नाहरी, मण्डावरा, सोलतपुरा, महुआ के अलावा माफियाओं के बजरी भरे वाहन बनेठा थाना क्षेत्र के ढिकोलिया, खेडा, गोठडा, ककोड, रूपवास, उनियारा थाना क्षेत्र के ढिकोलिया, गुमानपुरा टोल प्लाजा, पलाई टोल प्लाजा, सोप थाने के कस्बा सोप, कोटडी मोड सहित नगरफोर्ट थाना क्षेत्र कस्बा नगरफोर्ट सहित आस-पास के कई गांवों-कस्बों के मार्गों से प्रतिदिन सैकड़ों अवैध बजरी से भरे वाहन क्षेत्र के कुछ थानों के सामने से होकर हाईवे व गांवों-कस्बों के विभिन्न कच्चे-पक्के रास्तों से बेखोफ होकर तेज गति के साथ सरपट दौडते नजर आ रहे है। बजरी की रैकीकर्ता भी इनके आगे पीछे देखे जा सकते है। अवैध बजरी परिवहन के चलते कई गांवों की सडकें तो गहरें गढढो में तब्दील होकर टूट भी चुकी है। अवैध बजरी परिवहन व रैंकी करने के वाहन रात-दिन क्षेत्र की सड़कों पर वाहन धड़ल्ले से दौड़ रहे हैं। यह नजारा आम आदमी को तो नजर आता है, लेकिन अवैध खनन रोकने वाले रखवालों व न्यायालय के आदेशों की पालना कराने के लिए जिम्मेदार विभागीय अधिकारियों को यह सब नजर नहीं आता। वन विभाग व पुलिस की बजरी माफियाओं से मिलीभगत होने की वजह से उन पर कोई प्रभावी कारवाई नहीं करके बजाय यदाकदा एक- दो वाहनों की जब्ती दिखाकर इतिश्री कर दी जाती है। वहीं वन विभाग व एसआईटी टीम भी नाकाम साबित हो रही है। अलीगढ़ थाना सहित क्षेत्र के थानों के कुछ पुलिसक्रमी तो मिलीभगत के चलते अपनी जिम्मेदारी को भूलकर वर्दी की वफादारी कम व अवैध मिलीभगत कर माफियाओं की चाकरी ज्यादा करते नजर आ रहे है। इसी के चलते अकेले अलीगढ़ थाने के मामले देखे जाये तो बीते एक माह में आधा दर्जन से ज्यादा पुलिसक्रमी लाईन हाजिर व निलम्बित हो चुके है। ऐसे में जब माफियाओं पर क्षेत्र में एसआईटी टीम के प्रशासनिक अधिकारी कार्यवाही करते है तो पुलिस व वन विभाग की माफियाओं से सांठगांठ होने की मिलीभगत से कार्यवाही करने से पहले ही माफियाओं तक सूचना पंहुच जाती है तथा मिलीभगत के चलते पुलिस माफियाओं के खिलाफ कार्यवाही में नहीं कर पाती। माफियाओं के साथ पुलिस व वन विभाग की मिलीभगत होने से कार्यवाही के दौरान प्रशासनिक अधिकारी, पुलिसक्रमी व मिडियाकृमियों आदि को भी कभी-कभी माफियाओं के हमले का शिकार होना पड जाता है। हाल ही में रविवार को टोंक सदर थाना पुलिस की टीम पर भी माफियाओं ने ट्रैक्टर ट्रॉली चढाने तक का प्रयास किया गया जिसमें एक हैड कांस्टेबल के घायल होने सहित पुलिस की सरकारी जीप क्षतिग्रस्त का आगे का हिस्सा मय गेट क्षतिग्रस्त हो गया तथा इससे पूर्व भी कई बार माफियाओं द्वारा कई बार पुलिस, वन विभाग, एसआईटी टीम व मीडियाकर्मियों पर भी हमलें कर वाहन चढाने का प्रयास करने के मामले सामने आ चुके है। लेकिन उसके बावजूद भी नियमित रूप से पुलिस व वन विभाग की मिलीभगत के चलते माफियाओं द्वारा अवैध बजरी खनन - परिवहन का कारोबार खुलेआम जारी है।

