- सुरेश फागणा
निवाई (सच्चा सागर ) निवाई नगर के पास स्थित रक्ताचंल पर्वत पर कभी ऋषि मुनि तपस्या किया करते थे और उनकी तपस्या से खुश होकर भगवान शिव ने यहां पर गंगा की जलधारा प्रवाहित की ,जिसको कोशी गंगा के नाम से जाना जाता है | इस पर्वत पर पवित्र जल की गर्म धारा एवं ठंडी धारा निकलती है, इसका उदाहरण है मौरिया वाले हनुमान जी महाराज के कुंड जो आज भी मौजूद हैं | परंतु असामाजिक तत्व और प्रशासन की लापरवाही के कारण यह पर्वत आज दुर्दशा का शिकार हो गया , कभी ऋषि मुनियों से आबाद रहने वाला रक्ताचंल पर्वत पर आज अपनी सौम्यता तथा धार्मिकता के लिए तरस रहा है | यदि देवस्थान विभाग और पर्यटन विभाग ध्यान दें तो यह पर्वत धार्मिक स्थल के रूप में फिर से स्थापित हो सकता है और कार्तिक मास में महिलाएं यहां स्नान करने के लिए आ सकती है | हजारों साल तक ऋषि-मुनियों,साधु महात्माओं ने इस पर्वत पर कठिन तपस्या की है | हालांकि पुन: इस पर्वत पर ऋषि मुनियों का आगमन हो गया है, अब देखते यह है कि क्या सरकार इस पर्यटन स्थल को पुनर्स्थापित कर पाएगी |
