विधायक प्रशांत बैरवा के अपने पैतृक गांव के चिकित्त्सालय का मामला* *झिलाय सीएचसी में सुविधाओं की दरकार कौन सुने इसकी पुकार* *सुविधाओं का नही हुआ विकास, झाोलाछाप चिकित्सकों का फैला जाल, उपचार के नाम पर ऐंठ रहे मोटी रकम* *सीबीसी सहित अन्य जांचें करवानी पड़ रही बाहर, मरीजों पर पड़ रहा भारी आर्थिक बोझ*

 

 नीरज कुमार राजोरिया



झिलाय (सच्चा सागर) राज्य सरकार चिकित्सा विभाग की योजनाएं व मुख्यमंत्री निःशुल्क योजना एवं मुख्यमंत्री निःशुल्क जांच योजना को लेकर काफी ढ़िढोरे पीट रही है, वही दूसरी ओर इसकी एक बानगी पोल खोलती नजर आ रही है। राज्य सरकार द्वारा चिकित्सा के क्षैत्र को मजबूती प्रदान करने के लिए सरकार की ओर से सुविधाओं का विकास किया जा रहा है। इसके बावजूद आज भी कई जगहों पर चिकित्सकों का टोटा होने के साथ ही सुविधाओं का अभाव है। यहां राजकीय सामुदायिक चिकित्सालय झिलाय को करीब तीन साल पहले पीएचसी से वेलनेस सेन्टर व अप्रेल 2018 में सीएचसी में परिवर्तित कर दिया गया। यहां सुविधाओं का विस्तार नही होने किया जाने से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने राजकीय सामुदायिक चिकित्सालय झिलाय को करीब तीन साल पहले पीएचसी से वेलनेस सेन्टर व करीब दो वर्ष पूर्व सीएचसी में परिवर्तित तो कर दिया गया। लेकिन आज करीब दो वर्ष बीत जाने के बाद भी मरीज आम सुविधाओं के लिए तरस रहे है। सीएचसी में करीब आठ चिकित्सको के पद स्वीकृत है। जिनमें से करीब-करीब सभी चिकित्सक कागजों में तो यहां कार्यरत है। परन्तु यहां पर चिकित्सको के बैठनें के लिए अलग-अलग कक्ष नही होने से कार्यरत चिकित्सकों का लाभ मिलना दुभर हो रहा है। ग्राम के सामाजिक कार्यकर्ता चौथमल माहूर ने बताया कि वर्तमान में यहां के हालात यह है कि चिकित्सको के बैठनें के लिए यहां एक कक्ष है जिसमें दो पुरूष चिकित्सक एवं एक महिला आयुष चिकित्सक बैठती है। महिला आयुष चिकित्सक के पास तो यहां मरीजों की भीड़ नगण्य रहती है मगर अन्य दो चिकित्सकों के पास मरीजो का भार अत्यधिक रहता है। और बाकी अन्य चिकित्सक चिकित्सालय से कोसों दूर गायब रहते है। जबकि दो ही चिकित्सक यहां चिकित्सालय परिसर में बने क्वाटरों में निवास करते है, वही दिन-रात आने वाले मरीजों को देखते है। 

सामाजिक कार्यकर्ता माहूर ने बताया कि चिकित्सालय में आस-पास सहित सवाईमाधोपुर, गंगापुरा, अगरपुरा, ललवाड़ी, सिरोही, बड़ागांव, टोरड़ी, मित्रपुरा, गुगड़ोद, जामड़ोली, रहड़-बहड़, महापुरा, यादव गोपालपुरा, नयागांव, नांगल, नोहटा, करीरिया, बारेड़ा, शिशोलाव, भैरूपुरा, खिड़गी, सीन्दरा, बस्सी, भरथला, कैरोद, भगवानपुरा, भंवरसागर, बड़ोदिया, मेदारकलां, खाजपुरा, भांवता, खेड़ा, गोपालपुरा, जीवली, हरिपुरा, लक्ष्मीपुरा, मण्ड़ालिया, नला, खण्ड़वा सहित अन्य क्षैत्रों के मरीज यहां आते है। मजे की बात तो यह है कि यह गांव माननीय निवाई-पीपलू विधायक प्रशांत बैरवा का अपना पैतृक गांव है। विधायक के अपने गांव में यह हालात है तो आप अच्छी तरह से अंदाजा लगा सकते की अन्य क्षैत्रों के हालात क्या होंगे। विधायक महोदय ने अब तक सुविधा के नाम पर अपने पैतृक गांव के चिकित्सालय में कोरोना महामारी के चलते कुछ माह पूर्व एक थर्मल स्केनर मशीन भेंट की थी। बाकी फरवरी माह में राज्य सरकार के चिकित्सा विभाग की ओर से एक एक्सरें मशीन मिली है। 

मुख्यमंत्री निःशुल्क जांच योजना में जांचों के नाम पर महज एक खानाफुर्ती बनी हुई है, सीबीसी एवं छोटी-मोटी अधिकतर जांचे बाहर करवाई जाती है। जिससें मरीजों को बाजार में मंहगे दामो पर जांच करवाना पड़ रहा है, जिससें मरीजो पर भारी आर्थिक बोझ पड़ रहा है। इसी प्रकार अन्य चिकित्सको के मुख्यालय से बाहर रहने से मजबूरी में मरीजों को झोलाछाप चिकित्सकों के पास जाना पड़ता जिससें झोलाछाप चिकित्सक उपचार के नाम पर मोटी रकम ऐंठ रहे है। ग्रामीणों ने सामाजिक कार्यकर्ता चौथमल माहूर के नेतृत्व में राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डाॅ. रघु शर्मा को पत्र लिखकर चिकित्सालय का नया भवन बनाने एवं अन्य चिकित्सकों के मुख्यालय पर ठहराव की गुहार लगाई है। 

कस्बे के पीएचसी को सीएचसी में क्रमोन्नत हुए दो साल से ज्यादा का वक्त हो गया है, लेकिन सुविधाएं अभी तक पीएचसी जैसी है। हालांकि अस्पताल के क्रमोन्नत होने के बाद चिकित्सकों की संख्या में इजाफा हुआ लेकिन रोग विशेषज्ञ का अभाव बना हुआ है। अस्पताल में सुविधाओं की कमी के चलते यहां पर आने वाले मरीजों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस हॉस्पिटल में प्रतिदिन सैकड़ों मरीज आते हैं. सुविधाओं के अभाव में यहां पर इलाज नहीं मिलने से उपखण्ड़ मुख्यालय व जिला अस्पताल या किसी नर्सिंग होम जाना पड़ता है. ऐसे में मरीज की हालत और गंभीर हो जाती है. वैसे तो चिकित्सा विभाग बेहतर सेवाएं देने का दावा कर रहा है, लेकिन ग्रामीण स्तर पर सीएचसी में व्यवस्था बिगड़ी हुई है। कस्बा वासी चौथमल माहूर का कहना है कि पीएचसी को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का दर्जा तो मिल गया। लेकिन स्वास्थ्य उपकरण पूरे नहीं होने की वजह से उन्हें ईलाज नहीं मिल पाता। स्वास्थ्य उपकरण के अभाव मे मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। उन्होनें बताया कि स्वास्थ्य केंद्र का भवन छोटा होने के कारण मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। आबादी के हिसाब से यहां व्यवस्था नहीं की गई है। सुबह के समय ओपीडी होने के कारण जगह मरीजों के लिए बहुत कम पड़ती है। सुविधाओं के अभाव में सरकार की योजनाएं बेदम साबित हो रही है। कस्बें के सूरज मल यादव कहना है कि सरकार जनता को अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएं देने के लाख दावें करती है। लेकिन धरातल पर स्थिति दयनीय है। सरकार को घोषणाएं करने के बाद उनको अमलीजामा पहनाने के लिए सख्त कदम उठाने चाहिए। ग्रामीण क्षेत्रों मे बने स्वास्थ्य केंद्र में तो जीवन रक्षक दवाओं का अभाव हमेशा बना रहता है। कस्बे के पीएचसी को सीएचसी में क्रमोन्नत हुए दो साल से ज्यादा का वक्त हो गया है, लेकिन सुविधाएं अभी तक पीएचसी जैसी है। हालांकि अस्पताल के क्रमोन्नत होने के बाद चिकित्सकों की संख्या में इजाफा हुआ लेकिन रोग विशेषज्ञ का अभाव बना हुआ है। अस्पताल में सुविधाओं की कमी के चलते यहां पर आने वाले मरीजों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि राज्य सरकार ने अप्रैल 2018 में राजकीय सामुदायिक चिकित्सालय के भवन निर्माण के लिए करीब तीन करोड़ रूपयें राशि स्वीकृत हुई थी, परन्तु राज्य में सत्ता परिवर्तन हो जाने के बाद से अभी तक वित्तीय स्वीकृति अटकी पड़ी हुई है।


*प्रत्येक माह में औसतन 200 से 240 प्रसव*


जिलें के ग्रामीण क्षैत्र के चिकित्सालयों में सुमार राजकीय सामुदायिक चिकित्सालय झिलाय महिलाओं के संस्थागत प्रसव निपटान के क्षैत्र में श्रैष्ठ परिणाम देने वाले चिकित्सालय में प्रति माह में आस-पास के गांवों से लगभग 200 से 240 डिलेवरियां होती है। जिसके लिए चिकित्सालय जिला स्तर पर कई बार श्रैष्ठतम श्रेणी का पुरस्कार प्राप्त कर चुका है।


*दो दर्जन से भी अधिक गांवों को मिलता है फायदा*


राजकीय सामुदायिक चिकित्सालय झिलाय में आस-पास के सवाईमाधोपुर, गंगापुरा, अगरपुरा, ललवाड़ी, सिरोही, बड़ागांव, टोरड़ी, मित्रपुरा, गुगड़ोद, जामड़ोली, रहड़-बहड़, महापुरा, यादव गोपालपुरा, नयागांव, नांगल, नोहटा, करीरिया, बारेड़ा, शिशोलाव, भैरूपुरा, खिड़गी, सीन्दरा, बस्सी, भरथला, कैरोद, भगवानपुरा, भंवरसागर, बड़ोदिया, मेदारकलां, खाजपुरा, भांवता, गोपालपुरा, जीवली, हरिपुरा, लक्ष्मीपुरा, मण्ड़ालिया, नला, खण्ड़वा, संग्रामपुरा, कांटोली, अणदपुरा, गंगापुरा, देवपुरा, खेडा-खेडी, किवाड़ा सहित अन्य क्षैत्रों के मरीज यहां उपचार के लिए आते है। 


*चिकित्सकों के बैठनें के लिए कक्षों का अभाव* 


राजकीय सामुदायिक चिकित्सालय में चिकित्सको के बैठनें के लिए कक्षों की कमी है। नई बिल्ड़िंग निर्माण राज्य सरकार के स्तर का मामला है। इसके लिए विभाग ने उच्चा अधिकारियों प्रस्ताव बनाकर भेज दिया भेज दिया है। 


*चिकित्सालय में महिला चिकित्सक का अभाव*


राजकीय सामुदायिक चिकित्सालय झिलाय जिलें के ग्रामीण क्षैत्रों के चिकित्सालयों महिला डिलेवरियां निपटानें में अग्रणी है, इसमें प्रत्येक माह में लगभग औसतन 200 से 240 प्रसव होते है, जिनको पुरूष चिकित्सक ही निपटाते है, ग्रामीणों ने कई बार चिकित्सालय में महिला चिकित्सक लगानें की गुहार जनप्रतिनीधियों व उच्चाधिकारियों को कर चुके है। परन्तु आज तक इनकी पुकार सुनने वाला कोई नही हुआ है। चिकित्सालय में एक महिला चिकित्सक तो कार्यरत है, परन्तु वह आयुष की चिकित्सक है। प्रसव के क्षैत्र में एक महिला चिकित्सक महिलाओं की पीड़ा को पुरूष चिकित्सक के मुकाबलें अधिक भली-भांति समझ सकती है।


*चिकित्सालय परिसर में पार्किंग का अभाव*


राजकीय सामुदायिक चिकित्सालय झिलाय में आने वालें मरीज व उनके परिजनों के वाहनों की पार्किंग नही होने से मरीज व उनके परिजनों चिकित्सालय परिसर में मैन गेट के सामने आड़े-तिरछा खड़ा कर देते है, जिनसें कई बार आपतकालीन मरीजों व एम्बूलेंस को आने-जाने में कई प्रकार की तकलीफे झेलने पड़ती है, गौरतलब है कि चिकित्सालय परिसर से आए दिन दुपहियां वाहन चोर आड़े-तिरछा खडे़ वाहनों पर अपने हाथ साफ करने की घटनाएं भी सामने आ रही है। चिकित्सालय में आने वालें मरीज व उनके परिजनों को अपने  वाहनों की चोरी होने का खतरा सताते रहाता है।


*इन सुविधाओं का है अभाव*


अस्पताल में बेड, ऑपरेशन थियेटर, एक्स-रे, ईसीजी, सीबीसी मशीन, शिशु एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ, नाक, गला, कान, आंख रोग विशेषज्ञ, सुविधायुक्त लेबर रूम, बड़े ऑक्सीजन सिलेंडर, मोर्चरी, होम्योपैथिक, हाॅस्पिटल वाहन, 108 वाहन का अभाव व पर्याप्त भवन का अभाव सहित आदि भी सुविधाएं भी नहीं है। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर अभी तक बेड़ की संख्या नहीं बढ़ी है। पुराने पीएचसी के ही 30 बेड़ लगे है। जबकि सामुदायिक चिकित्सालय के स्तर से यहां पर लगभग 50 बेड़ों की आवश्यकता है। अस्पताल में कक्षों के अभाव में चिकित्सकों को बैठने में भी दिक्कतें हो रही है।

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