चाकसू के सामुदायिक केन्द्रो की दुर्दशा।लाखों रुपयों की हो रही है बर्बादी।

 

लोकेश कुमार गुप्ता



चाकसू (सच्चा सागर) पिछले तीन दसक में नगरपालिका के विभिन्न क्षेत्रो में नगर पार्षदों की सहमति से लगभग एक दर्जन। सामुदायिक भवनों के निर्माण पर जनता का लाखों रुपया खर्च किया गया है।जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है यह सामुदायिक भवन समाज के विभिन्न समुदायों के होने वाले सामुहिक कार्यक्रमों को सुविधा पूर्वक सम्पन्न करने के लिए हुआ है। इससे कम आय वर्ग , बीपीएल परिवारों को लाभ मिल सके।

गार्डन आदि में होने वाले खर्चों में बचत हो सके।

आरंभ में समाज के लोगों ने इनका समय पर तथा आवश्यकतानुसार उपयोग भी  किया।ईच्छेश्वर कालोनी, चम्पेश्वर मंदिर ,रैगर समाज के पास निर्मित भवनों के अनेक बार उपयोग हुआ है एवं अनेक बार सम्पन्न समाज के लोगों ने भी इन भवनों का आनन्द उठाया। भवनों के चार दीवारी, सुविधाओं तक की व्यवस्था  रही है।

दुर्भाग्य इन भवनों का समझे या चाकसू के आम नागरिकों का   काम में लेने वालों ने कभी इनकी मरम्मत या साफ सफाई तक की सुध नहीं ली।गटर बाथरूम जमीन में धंस गये,  फर्स   उखड़ गई,खिड़की दरवाजे चोरों तथा आवारागर्दी करने वालों के लिए खुले छोड़ दिए गये।आलम यह हो रहा कि कहीं पानी भरा है तो कहीं खिड़कियां वह सीमेंट की जालियां वह दरवाजे तक गायब हो  गये ।निमोडिया रोड पर खड़ा सामुदायिक भवन हो या ईच्छेश्वर कालोनी वाला,नीलकंठ महादेव मंदिर परिसर में बना सामुदायिक भवन हो या बावनदास की बगीची में सभी अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहे हैं।न समाज ध्यान दे रहा है और न ही नगरपालिका प्रशासन ही।

सर्वाधिक दायित्व नगरपालिका प्रशासन एवं जन प्रतिनिधियों का बनता है।

सामुदायिक भवन बनवा तो दिए लेकिन इनके रख-रखाव एवं देखरेख, बिजली-पानी की व्यवस्था  तथा साफ-सफाई व्यवस्था के लिए किसी भी मोहल्ले की दायित्वान समिति अथवा पार्षद को नहीं दिया गया।

समय गुजरता गया-इन भवनों के हालात बद से बद्तर होते ही चले गये। नगरपालिका के पीछे बनाए गये सामुदायिक भवन भी न्यायालय के स्थानांतरित हो जाने के बाद कोई उपयोग नहीं हो रहा।समय पर झाड़ू तक नहीं लग रहा। नगरपालिका प्रशासन को फुर्सत ही नहीं है कि अपनी सम्पत्ति की समय समय पर सार संभाल तो कर ले।स्थानीय जनप्रतिनिधियों को छोड़ भी दें तो विधायक महोदय को भी इतना समय नहीं मिलता कि इन भवनों दुर्दशा के बारे में संबंधित विभागों से जानकारी लेकर इनकी बिगड रही दशा वह दिशा को नया कलेवर दे सके।

क्षेत्र के जागरूक नागरिक नारायणलाल शर्मा, पन्नालाल कोली, राधेश्याम शर्मा, रामजीलाल शर्मा,

शिक्षाविद् रमेशचंद शर्मा सहित अनेक लोगों का मानना है कि विभिन्न योजनाओं में निर्मित इन भवनों,सुलभ शौचालयों, आदि की देख-रेख के लिए 

उच्च स्तरीय समिति का गठन होना आवश्यक है अन्यथा जनता के करोड़ों रूपयों की बरबादी तो सुनिश्चित है ही।

फोटो -चाकसू के एक सामुदायिक भवन की दुर्दशा

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